हमारे देश में। हजारों वीरों ने
हमारे देश में। हजारों वीरों ने
हमारे देश में। हजारों वीरों ने अपनी जान की का बलिदान दीया है। और देश के खातिर कुर्बानियां भी दी है। हम नहीं भूल सकते हैं उन वीर जवानों को जिन्होंने हमारे देश के खातिर अपनी जान का बलिदान दिया है ।अपनी जान को कुर्बान किया है।
अगर हम यहां पर हर एक की कुर्बानी का जिक्र करेंगे। तो बस लफ्ज़ ही कम पड़ जाएंगे हर एक की कुर्बानी अपने आप में एक। अलग तरह का सबक थी।
सबकी जिंदगी का महत्व अलग अलग था। लेकिन सबका लक्ष्य सिर्फ एक था कि हमारे देश हिंदुस्तान को। अंग्रेजों के चुंगल से आजादी दिला सके हर एक देशवासी को स्वतंत्र रूप से जीने का। अधिकार दिला सके।
मगर आज आजादी के कुछ नायक गुमनाम होकर रह गए हैं। उन्हें हम लोग सिर्फ। स्वतंत्रता दिवस वाले दिन याद करते हैं।
जबकि हम यह भूल जाते हैं कि उनकी कुर्बानियों की वजह से ही। हमें स्वतंत्र रूप से जीने का अधिकार मिला है। हमारे देश की कुर्बानी में हजारों क्रांतिकारियों ने बड़ा बलिदान दिया है। अपने कुर्बानी की एक नई तहरीर लिखी है। और इन बलिदानों की कुर्बानी को याद करके हमारी आंखें नम हो जाती है।
इन्हीं में से एक थे अमर शहीद खुदीराम बास।
भारतीय आजादी की लड़ाई का सब से कम उमर का सिपाही i जिसे आज के दिन 11अगस्त 1908 को मात्र 18 वर्ष की उमर में फांसी पर लटका दिया था I आरोप था बिहार के मुज्जफरपुर में बम्ब हमले का दोषी पाया जाना और बम्ब बनाने और सिखाने के आरोप भी साबित हुए। जब जज ने इन को फांसी की सजा सुनाई तो, ये वीर युवक हंस पड़ा I जज ने सोचा की इस को सजा की गंभीरता नहीं मालूम है I तब जज ने कहा की तुम क्यों हँसे ये बोला जज साहिब मेरे पास समय होता तो मैं आप को बम्ब बनाना सीखा देता I इस वीर का नाम था शहीद खुदी राम बोस इनका जन्म मिदनापर बंगाल में 1889 को हुआ था I
#अमर शहीद खुदीराम बास की शहादत को नमन।
हम देश वासी आपकी कुर्बानी कभी नही भूल सकते
