Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Radha Gupta Patwari

Abstract

4.2  

Radha Gupta Patwari

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विधवा विवाह

विधवा विवाह

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"क्या हुआ सुधा?तुमने मेरे सवाल का जबाब नहीं दिया अब तक। एक हफ्ते से पूछ रहा हूँ। इतना टाइम थोड़े ही लगता है सोचने में। ये फैसला सिर्फ तुम्हें लेना है पर..। "यह कहकर आशीष अपनी कुर्सी से उठा।

"तुम मेरे पीछे क्यों पड़े हो ? हजारों लड़कियों की लाइन लग जायेगी तुम्हारे पीछे। लग क्या जायेगी,अभी भी लगती है तुम्हारे पीछे। क्या नहीं है तुम्हारे पास। फॉरेन रिटर्न, ओहदे में एम.डी.,गोरे,लंबे,पैसा,रुतबा सब कुछ तो है तुम्हारे पास। एक लड़की को और क्या चाहिए ? मेरे पीछे अपनी जिन्दगी मत बर्बाद करो। "सुधा ने खिड़की से बाहर देखते हुए कहा।

"मैं जीवन बर्बाद नहींं आबाद करना चाहता हूँ। शादी करूंगा तो सिर्फ़ तुमसे। मुझे हजारों लड़कियों से थोड़े ही शादी करनी है। मुझे तो सिर्फ तुमसे करनी है। मुझसे शादी करने में तुम्हें क्या परेशानी है बताओ न। "-आशीष ने चिंतित होते हुए कहा।

"तुम्हें पता है न मैं विधवा हूँ और मेरे एक बेटा भी है। समाज क्या कहेगा। पहले पति को खाकर दूसरी शादी करने चली। नहीं तो यह भी कह सकता हैं कि अपने बॉस के साथ नैन मटक्का चल रहा है। साल भर हुआ नहीं अपने बॉस को अपने रूप जाल में फंसा लिया। हम विधवाओं के लिए दूसरी शादी इतनी सहज नहीं है। बहुत काँटों भरी राह है। एक विधवा की खुशियां उसके पति के साथ ही चली जाती हैं। "-सुधा ने आँसू पोंछते हुए कहा।

आशीष ने पीछे से सुधा को पकड़ते हुए उसके कान में हौले से पूछा-"प्यार करती हो मुझसे। " आशीष का आलिंगन पाकर वह खुद को रोकते हुए बोली-"पता नहीं। "

आशीष ने पीछे से और जोर से गले लगाते हुए पूछा-"करती हो पर बोलती नहीं। मुझे पता है तुम समाज से डरती हो। "

"विधवा हूँ। समाज क्या कहेगा। तुम्हें भी मुझसे शादी करके क्या मिलेगा ? मुझे तो अब शादी के नाम से ही डर लगता है। कितने अरमानों से शादी की थी पर क्या मिला ?"-सुधा ने बैचेनी से कहा।

"उसकी चिंता मत करो। मैं हूँ न। हम दोनों एक दूसरे के लिए बेहतर जीवनसाथी साबित होंगे। पहला पति ठीक नहीं था तो इसका मतलब यह नहीं की दूसरा पति भी खराब मिले। "आषीश ने सुधा के बाल.ठीक करते हुए कहा।

आशीष के इतने प्यार के लिए सुधा ने आशीष को इशारों में हाँ कर थी।


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