वैश्विक त्रासदी
वैश्विक त्रासदी


आज पूरा विश्व वैश्विक त्रासदी से गुजर रहा है, ऐसी स्थिति में भारत पूर्ण रूप से संगठित होकर इस त्रासदी के विरुद्ध ढाल बनकर खड़ा है।आज का दिन इसका अविस्मरणीय उदारहण बन गया।
कभी-कभी लगता है प्रकृति भी किसी भयानक त्रासदी और संकट के माध्यम से मनुष्य को कठोर सबक सिखाती है ताकि वह आत्मनिरीक्षण कर सके, आत्मानुशासन कर सके। आत्मसंयम और आत्मानुशीलन का व्रत रख सके।
हम उस प्रकृति की ओर लौट सके जिसे हम आधुनिकीकरण की दौड में भूल चुके हैं।
यह भी शाश्वत सत्य है कि संकट के समय हमें दो का सर्वप्रथम ध्यान आता है, पहले ईश्वर फिर हमारा परिवार, हमारे अपने।
यह त्रासदी भी हमें प्रकृति, परमेश्वर और परिवार के समीप ला रही है।
आज फिर से देश ने मोदी को सच्चा राष्ट्रनायक,राष्ट्रसेवक साबित कर दिया जिनके एक आग्रह, एक आव्हान पर पूरा राष्ट्र थाली, ताली और शंखनाद से राष्ट्र के सेवकों का अभिवादन करने के लिये खड़ा हो गया।