"वर्क फ्रॉम होम"
"वर्क फ्रॉम होम"


मेघना ने घड़ी की तरफ देखा तो शाम के 5 बज चुके थे। दिन भर काम करते - करते टूट चुकी थी, सोचा 10 मिनट कमर सीधी कर लूँ, तभी याद आया कि आज बेटे अर्णव की ऑनलाइन क्लास छूट गई थी, इसलिए उसने अपनी फ्रेंड नंदिनी को फोन लगा दिया। नंदिनी के फोन उठाते ही मेघना बोली सॉरी यार तुझे बार- बार परेशान करती हूँ। आज मीटिंग थी, इसलिए फर्स्ट पीरियड मिस हो गया अर्णव का, प्लीज क्लास वर्क भेज देना। नंदिनी की बेटी रिया और अर्णव एक ही क्लास में है, इसलिए मेघना और नंदिनी में आदान - प्रदान होता रहता है। लेकिन आनलाइन क्लासेस और वर्क फ्रॉम होम में उलझी मेघना को अब झिझक महसूस होने लगी थी। मगर कोई दूसरा उपाय न था। फोन रखा ही था कि अर्णव दौड़ता हुआ आया, मम्मा दादा ने चाय बनाने के लिए कहा है। मेघना किचन में गई कि अर्णव किचन में आया - मम्मा पॉपकार्न बना दो ना, भूख सी लग रही है। मेघना ने हँसते हुए कहा ठीक है- बनाती हूँ। तभी पति आकाश ने कहा - मेघा एक कप कॉफी बना दो प्लीज। मेघना को पता था किचन में घुसना मतलब आधे घंटे का ब्रेक। ससुरजी की फीकी चाय और आकाश को कॉफी देने के बाद उसने अपनी और सासु मां के लिए अदरक और तुलसी की चाय बनाई और चाय छानते हुए उसने अर्णव से पूछा - बेटा दादी कहाँ है? अर्णव ने कहा दादी छत पर है, टहल रही है। मेघना ने चाय के कप ट्रे में रखे और सीढ़ियां चढ़ने लगी। तभी उसके कानों में बाजू वाली शर्मा आंटी की आवाज़ पड़ी- वे पूछ रही थी आजकल आकाश और मेघना तो दिखाई ही नहीं देते। सासूमां बोली - आकाश को तो एक पल भी फुर्सत नहीं है। प्राइवेट वाले ऐसा ही पैसा देंगे। पूरा कस निचोड़ लेते है। शर्मा आंटी बोली- मेघना घर पर है, आपको तो आराम होगा। अरे काहे का आराम, वर्क फ्रॉम होम के चक्कर मे दिन भर फोन और लैपटॉप पर लगी रहती है। अभी भी किसी सहेली से बतिया रही थी। काम तो मुझे ही करना पड़ता है।
मेघना वही ठिठक गई, मानो उसके पैर वही जम गए हो। सुबह घर के सभी काम निपटाने के बाद, ऑफिस वर्क फिर अर्णव की क्लासेस उसके असाइनमेंट, करवाते - करवाते रात को निढाल होकर ऐसी सोती है कि सुबह कब हो जाती है, पता ही नहीं चलता। शर्मा आंटी की आवाज़ से मेघना की तंद्रा भंग हुई- अरे भाभीजी नेहा बिटिया इस बार नहीं आ पाई ना छुट्टियों में। सासु मां ने रुआंसे स्वर में कहा- अरे हाँ ना, बेचारी नेहा भी फँसी हुई है स्कूल की ऑनलाइन क्लासेस, दिन भर घर के काम । सोच तो रही हूं सन्डे आकाश को लिवाने भेज देती हूं नेहा को। कुछ दिन आकर रह जायेगी तो आराम हो जाएगा। मेघना को याद आया कि दो दिन पहले उसका भाई भी उसे लिवाने के लिए आया था, मगर उसने यह कहकर लौटा दिया कि सासुमां के घुटनों में दर्द रहता है, बाई भी नहीं आ रही है, फिर ऐसे में कितना काम करेगी। अपने आप को संभालते हुए मेघना छत पर जाती है, सासुमां को चाय का कप थमाकर नीचे आ जाती है। सासुमां पीछे से आवाज़ लगाती है, मेघना चाय ठंडी हो गई है। मगर मेघना तो सीढ़ियां उतरते हुए यह सोच रही थी - वर्क फ्रॉम होम मजा है या सजा।