"भस्मासुर" आरक्षण का असुर'
"भस्मासुर" आरक्षण का असुर'
"भस्मासुर"
"मास्टर जी राम-राम"सुबह सुबह कहाँ जा रहे हैं, आइये मैं छोड़ दूं क्या...
हरिया ने मोटरसाइकिल रोक कर पूछते हुए कहा।
अरे मैं तो मंदिर जा रहा हूँ,रिटायरमेंट के बाद सुबह-शाम मंदिर जाने का नियम बना लिया है। पूजा भी हो जाती है और टहलना भी।
मेरी छोड़ ,तू इतनी सुबह ढोल लेकर कहां जा रहा है।
कहीं शादी ब्याह है क्या?
नही मास्टर जी वो अपना बुधिया है ना छोटी बस्ती में,उसका बेटा राजू पुलिस इंस्पेक्टर की परीक्षा में पास हो गया, बस उसी का जश्न है।
अरे राजू ,वो तो बहुत ही समझदार और होशियार बच्चा है। हरिया उसे मेरी तरफ से बधाई दे देना।
अच्छा मास्टरजी चलता हूँ,
हरिया ने यह कहकर मोटरसाइकिल आगे बढ़ा ली।
मंदिर में सहायक पुजारी को देखकर मास्टरजी ने पूछाक्यों छोटू पुजारी आज बड़े पुजारीजी नही आये?
आपको पता नहीं लगा पुजारी जी के बेटे माधव ने फाँसी लगा ली।
क्यों ?
अरे माधव तो हमारी स्कूल का मेधावी छात्र था, वो ऐसा नही कर सकता।मास्टरजी की आँखे भीग गई और गला रुँध गया।
सुना है , पुलिस इंस्पेक्टर की परीक्षा में फेल हो गया।
मगर बुधिया के बेटे राजू से तो ज्यादा ही नंबर लाया था, फिर कैसे फेल हो सकता है ...छोटू पंडित ने अपनी जिज्ञासा जाहिर करते हुए पूछा।
मास्टरजी ने कहा बेटा तू नही समझेगा, आज इस भस्मासुर ने फिर एक जान ले ली।
कहते-कहते मास्टरजी रो पड़े।