वीर सावरकर
वीर सावरकर


स्वातंत्र्यवीर, विनायक दामोदर सावरकर......स्वतंत्रता संग्राम के भीष्म पितामह
आज वीर सावरकर जयंती है, इस महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, अग्रणी इतिहासकार ,सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता, प्रखर राष्ट्रवादी नेता ,चिंतक, क्रांतिकारी और दूरदर्शी नेता को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन
"जिसकी पितृभूमि और पुण्यभूमि भारत है, वह हिन्दू है।"
मैं जब भी वीर सावरकर के बारे में पढ़ती लगता वो मां कितनी सौभाग्यशाली होगी जिसके घर ऐसा पुत्र जन्मा, लेकिन जब पढ़ा तब लगा वो जननी कितनी महान थी , जिसने अपने तीनों पुत्रों को मातृभूमि के चरणों में समर्पित किया।
सावरकर बंधु अर्थात गणेश सावरकर( बाबा), विनायक सावरकर(तात्या),डॉक्टर नारायण सावरकर(बाला)।
जिसमें दो भाइयों ने कालेपानी की सजा भोगी और एक ने कारावास।मातृभूमि की सेवा में समर्पित इन पुत्रों ने जो स्वतंत्र भारत की ज्योति जलाई , उसका प्रकाश आज भी फैला हुआ है।
1857 की क्रांति को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहने वाले ,हिंदुत्व की अवधारणा के प्रवर्तक और पतित पावन मंदिर के संस्थापक वीर सावरकर ।मित्रमेला और अभिनव भारत की स्थापना कर आजादी की अलख जगाने वाले, हिंदुत्व को परिभाषित करने वाले,दो आजीवन कारावास की सजा पाने वाले वह विश्व के प्रथम व्यक्ति थे।ऐसा क्रांतिकारी जिसकी पुस्तक प्रकाशित होने से पहले ही प्रतिबंधित कर दी गई, 10 वर्ष कालेपानी की सजा भुगतने वाले और 4 वर्ष तक भारत की जेल में रहने के बाद भी आजाद भारत में भी इन्हें जेल की सजा हुई।
अपनी काल कोठरी में जिन्होंने 6000 से अधिक कविताएं ना केवल लिखी बल्कि उन्हें कंठस्थ किया।
अपनी 19 वर्षीय पत्नी से यह कहना कि तिनका जोड़कर घरोंदा तो कौवे और चिड़िया भी बनाते हैं। यदि समस्त मानव परिवार को अपना परिवार मानते हैं तो हम अपनी गृहस्थी में पूर्ण सफल हुए । अपना लक्ष्य पूर्ण होने पर इच्छामृत्यु को वरण करने वाले इस वीर को शत शत नमन!