वादा
वादा
सुनते हो जी, एक बात कहुं आपसे ? अस्सी साल की गौरी ने अपने छियासी साल के पति शिवा से कहा। शिवा ने कहा, कहो। पत्नी भावुक होकर बोली, आपको याद है आपने शादी से पहले अपनी माँ से छुपकर एक पत्र लिखा। जिसमें आपने अपने गुस्से का इजहार करते हुए लिखा की, आप मुझसे शादी नहीं करना चाहते। क्योंकि आपको हम पसंद नहीं। शिवा ने हैरान होकर पूछा, पत्र तुम्हें कहाँ मिला। वह तो बहुत पुरानी बात है। गौरी आँखों में आंसू भर के बोली, कल आपके बक्से से मुझे पुराना पत्र मिला । मुझे नहीं पता कि यह शादी आपकी मर्जी के खिलाफ हुई। वरना मैं खुद ही मना कर देती। शिवा ने अपना माथा अपनी पत्नी की आँचल में रखा और बोला उस वक्त मैं सोलह साल का किशोर लड़का था और मुझे लगा तू मेरे से शादी करके आओगी तो मेरा रूम शेयर करोगी। मेरे किताबों को पढ़ोगी। मेरे जेब खर्च में से तुमको भी हिस्सा देना होगा। लेकिन उस वक्त मैं ये कहा जानता था की तुम मेरी जिन्दगी में आकर मेरी जिन्दगी को ही खुशियों से भर दोगी। यह जानकर गौरी ने खुश होकर कहा भगवान का शुक्र है। मैं तो समझ रही थी तुम्हें किसी लड़की से प्रेम था। पति ने हंसते हुए कहा, अजी रहने दो। कहां वह और कहाँ मेरी राजकुमारी गौरी। पत्नी और पति एक दूसरे से लिपट गए। प्यार के आखिरी सफर की मंजिल अब कुछ ही दूर बची थी ।
सितम्बर के महीने में शिवा गौरी ने बात की। अक्तुबर के महीने में एक दो दिन बीता होगा कि गौरी की मृत्यु हो गई। शिवा ने गौरी को अग्नि दी और बोला कि, जा पार्वती मैं तेरे साथ तो नहीं जा सका। पर, नब्बे दिन के बाद तेरे पास जरूर आऊंगा। जब तक गौरी जल रही थी। शिवा एकटक निहारे जा रहा था।
शिवा की नब्बे दिन बाद मृत्यु हो गई। जनवरी का महीना चढ़ते ही शिवा ने गौरी से किया वादा निभा दिया। कुछ लोग प्यार में ऐसे भी होते हैं जो मरने के बाद भी वादा निभाते हैं। यह कहानी सच्ची घटना पर आधारित हैं।