उसका वो विश्वास
उसका वो विश्वास
मैं माया एक हाउसवाइफ। जैसी यहाँ बहुत सी लेडीज होंगी। शादी के बाद कब बड़ी हुई घर के सारे काम भी आ गये। पता नहीं सोचती हूँ तो कुछ याद भी नहीं आता।
चलो वो तो सब के साथ हैं। मिडिल क्लास फैमिली मैं सब कुछ होता भी और नहीं भी। मेरे साथ भी ऐसे ही है।
दो बच्चे हैं, एक बेटी और एक बेटा दोनों ही पढ़ने मैं अच्छे हैं,
मेरी कामवाली जो मेरे घर बर्तन सफाई करती हैं। उसका बेटा भी मेरी बेटी के साथ ही पढ़ता हैं। सरकारी स्कूल मैं पढ़ता है, मेरी कामवाली बहुत मेहनत से अपने बच्चों को पढ़ा रही थी।
उसका लड़का भी पढ़ने बहुत अच्छा है। वो अपने बेटे की बहुत तारीफ करती थी, कि वो पढ़ने मैं बहुत मेहनत करता है अपने छोटा भाई बहनों को भी पढ़ा देता है।
मैं सोचती थी हमारे बच्चे तो इतने बड़े स्कूल मैं पढ़ते हैं।
इतनी अच्छी पढ़ाई करते हैं ट्युशन भी लेते हैं। मेरे बच्चों से इनका क्या जोड़।
अपनी सोच पर मुझे शर्म भी आती पर एक माँ इन सब मैं जीत जाती कि नहीं मेरे बच्चे ही ज्यादा मेहनत करते हैं और उनके स्कूल भी तो अच्छे हैं।
जब बोर्ड के एग्जाम हुए तो मैं उससे पूरा हटी रहती कि बेटे के पेपर कैसे हो रहे हैं। बोर्ड के एग्जाम के बढ़ ये पता चलना थे कि उसका बेटा कितना अच्छा है पढ़ाई में।
चलो एग्जाम ख़त्म हो गये। वो मुझसे सब पूछती की भाभी अब क्या करवाऊँ। अपने बेटे को, मैं तो पढ़ नहीं सकती मेरे को तो कुछ पता नहीं, आओ बता देना
मैं कहती हाँ मैं बता दूंगी।
कुछ फाइनल के बढ़ रिजल्ट भी आ गया।
मेरी बेटी के 92, % आये, मैं बहुत खुश थी पर पता नहीं क्या था जो मुझे खटके जा रहा था। मुझे बस रेखा मेरी कामवाली के बेटे के रिजल्ट पता करना था।
शाम को वो खूबसूरत सारे लडू के डिब्बे ले कर आयी।
आस पास के काफ़ी सारे घरों मैं वो काम करती थी। सब के लिये। उसके बेटे के 86% आये थे
सबसे पहले वो मेरा ही मुँह मीठा करवाने के लिए आयी। बोली भाभी आपकी दुआ से मेरा बेटे बहुत अच्छे नम्बर से पास हो गया।
लो मुँह मीठा करो भाभी। उसकी बात सुन कर मुझे बहुत शर्म आयी। उससे आंखे मिलाने की मेरी हिम्मत नहींं हुई।
अपने ऊपर मुझे कभी इतनी शर्म नहीं आयी। ऐसा लगा रहा था कि उसको मुझ पर कितना विश्वास हैं और मेरी सोच क्या थी।
उसकी आँखों का वो विश्वास मुझे माफ़ नहीं करता किसी मुँह से और किसी से माफ़ी मांगू।