STORYMIRROR

Ruchi Madan

Others

3  

Ruchi Madan

Others

माँ तुमको आ जाना चाहिये

माँ तुमको आ जाना चाहिये

2 mins
592

क्यू ये आस्मां, भी आज ऐसे रो रहा है जैसे मेरी आंखे... दिन रात।

दिल को किसी चीज से सुकून नहीं मिलता अब तो माँ को गये कुछ दिन नहीं साल ही गये है।

पर फिर भी ऐसा लग रहा है जैसे वो मेरे पास ही तो थी। फिर एक दम ऐसा क्या हो गया.. जो वो चली गई।

मै तो जा ही रही थी उसके पास फिर एक फ़ोन आया, की माँ नहीं रही!


जैसे सारी दुनिया ही बदल गई

बचपन में छोटी और बहुत जिद्दी। माँ ने कभी नहीं डाॅंटा। बस हँस देती और पापा तो बस सारा दिन काम में ही रहते, कई बार तो मिलते ही नहीं।

हमारे सारे फैसले भी माँ ही लेती। पापा कुछ नहीं कहते। बस घर का सारा राशन, सब्जी ही भरते रहते।


एक बुआ थी जो हमेशा हमारे पास ही रही। शादी के कुछ टाइम बाद ही उनके पति ने उनको छोड़ दिया था।

मम्मी उनकी बड़ी सेवा करती थी।

आज तो मै भी चालीस साल की हो गई हूॅं। तब जमाना कुछ और ही था। इतना लोग एक दूसरे से दूर नहीं थे। एक दूसरे का ख्याल रखते थे। सब हर वक़्त कोई भी टाइम हो।

हमारा बहुत बडा परिवार था और सब आस पास ही रहते थे। जब मन हुआ चले गये। ना कोई दिन ना कोई रात!


कितने दिन तो कई बार लाइट नहीं आया करती थी। सारी सारी रात ऐसे ही बैठे बैठे निकल जाती थी।

सब कुछ छूट गया। माँ के जाने के बाद सब बदल गया।

भाइयो ने अब तो वो घर भी बेच दिया जहाँ हमने अपना बचपन बिताया। अब वहाँ जाने का मन नहीं करता। कुछ है जो अंदर ही अंदर टूट गया है वो भरता नहीं...


माँ तुम बहुत याद आती हो। बहुत सी बाते है जो तुमसे कहनी है पर अब तुम सुनती नहीं। कुछ गलतियों की तुमसे माफ़ी मांगनी है। जो तुम जानती नहीं। तुम्हारे चेहरे की मुस्कान देखनी है।

मुझे जो कहीं और दिखती नहीं और तेरी गोद मे सोना है मुझे। क्योंकी नींद मुझे अच्छी सी अब आती नहीं...!


Rate this content
Log in