Ruchi Madan

Tragedy

5.0  

Ruchi Madan

Tragedy

हम कितने मजबूर है

हम कितने मजबूर है

3 mins
664


मिडिल क्लास परिवार में ज़िन्दगी हर वक़्त एक उलझन से भरी हुई होती है। पता नहीं कब कौन सा ख़र्च आ जाये। और आप को किसी चीज के लिये अपना दिल मारना पढ़े। बच्चे बहुत छोटे पन से ही हिसाब लगाना सीख जाते हैं। अपने बड़ों को हमेशा दिल मारते हुए देखते है। शायद इसलिए।

मन में हर वक़्त ये ही परेशानी की कल को कैसे बच्चों की पढ़ाई होगी कैसे इनके लिये घर बनाये और कैसे शादी करेंगे। छोटी छोटी बातों में ज़िन्दगी निकल जाती है।

माँ बाप को हमेशा मेहनत करते ही देखा। पता नहीं कब सोते थे। सुबह भी जल्दी उठ जाते। रात को भी देर तक काम में ही लगे रहते। हमारी ज़रूरतों के लिये पैसे निकल ही आते थे। और अपने लिये हमेशा यही की कोई जरुरत नहीं है अभी है हमारे पास। माँ बाप ने बड़ी मेहनत से हम दोनों बहन को पढ़ाया। हर चीज़ की जो वो कर सकते थे। मेरी शादी हो गई और भाई की दिल्ली में नौकरी लगा गई। मम्मी और पापा वही रामनगर में थे। पापा कुछ बीमार रहने लगे थे। माँ बहुत सेवा करती थी पर उनकी खांसी ठीक नहीं हो रही थी। काफ़ी इलाज के बाद उनको दिल्ली ले कर गये। डॉक्टर ने सारे चेकअप किये और उनको कैंसर निकला।


इस बीमारी का तो नाम ही डरा देता है। अब क्या होगा भाई बहुत सेवा कर रहा था। फिर भी मुश्किल हो रही थी। नौकरी के साथ। मेरी बेटी अभी दो महीने की थी कोई तैयार नहीं था मुझे वहाँ भेजने के लिये। माँ पापा का ट्रीटमेंट करवा के वापिस आ गई भाई ने बहुत कहा यही रुक जाओ पर वो नहीं मानी

रोज़ बात होती फ़ोन पर हमेशा यही कहती पापा ठीक हो रहे है आज ये खाया कल बाहर भी निकले थे हम दोनों को यही समझा देती की पापा ठीक है।

जब भी टाइम मिलता हम दोनों मिलने चले जाते, पापा बहुत कमजोर हो गये थे। पर उनकी आँखों में एक अजीब सी खामोशी थी कम बोलते थे।

और माँ तो जैसे इस उम्र में और मजबूत हो गई थी सारी सारी रात जगती रहती थी पापा के साथ कभी उनके पैर दबाती। कभी दवाई देती पर हमें हमेशा यही कहती अपना ख्याल रखो हम ठीक है । एक दिन पापा की मौत का फ़ोन आया। मैं तो वही जाने के लिये निकल रही थी सोचा था माँ को सरप्राइज दूंगी वो बहुत दिन से बुला रही थी।


वहाँ गई तो पापा जा चुके थे सबने एक दूसरे को संभाला और पापा को विदा किया, जब सभी लोग चले गये तो हम दोनों ने माँ से पूछा "की आपने बताया क्यूँ नहीं की पापा की तबियत इतनी खराब हैं हम उनको दिल्ली ले चलते।" माँ ने बताया की डॉक्टर ने तो पहले ही बता दिया था की "सिर्फ दो या तीन महीने है पर पापा ने मना किया था तुम दोनों को बताने के लिये। वो तुम को परेशान नहीं करना चाहते थे। ना ही आपने ऊपर पैसा लगा कर तुम दोनों की आगे की ज़िन्दगी खराब नहीं करना चाहते थे।"

आज हमें ऐसा लगा रहा था जैसे हम कितने ग़रीब है की अपने पापा के लिये कुछ भी नहीं कर पाए।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy