Megha Rathi

Horror Fantasy Thriller

3.1  

Megha Rathi

Horror Fantasy Thriller

उंगलियां

उंगलियां

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आज से एक नए कलेवर की कहानी की शुरुआत करती हूं, हॉरर कभी लिखा नहीं है, जब भी लिखा वो हास्य बन गया... देखते हैं इस बार क्या होता है।


उंगलियां( भाग 1)


ट्रेन के द्वितीय श्रेणी के वातानुकूलित शयनयान में अपने पति मिहिर के कंधे पर सिर रख कर बैठी हुई कमल अभी भी नींद की खुमारी में थी। सुबह हो चुकी थी लेकिन उनका स्टेशन आने में थोड़ी देर थी। तीन दिन पहले ही वे अपने हनीमून से लौट कर आए थे। नया – नवेला सजीला जोड़ा अपने भविष्य के ढेरों सपने आंखों में बसाए हुए आपस में बात कर रहा था।

विवाह के लिए ली हुई मिहिर की छुट्टियां समाप्त हो चुकी थीं और अब वह अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने जा रहा था। सास– ससुर ने उनकी नई गृहस्थी का जरूरी सामान पहले ही मिहिर के आवंटित घर में रखवा दिया था ताकि नई बहू को कोई परेशानी न हो।

नया सफर और नया रिश्ता कमल को उत्साहित कर रहा था।

" चलिए मैडम, आ गई अपनी मंजिल।", तभी मिहिर ने प्यार से कहा और उठकर सभी सामान दरवाजे के पास ले जाकर रखने लगा। कमल भी उसकी सहायता करने लगी। लगभग पांच मिनिट में उनकी ट्रेन स्टेशन पर आ गई। 

स्टेशन पर मिहिर के कुछ दोस्त उनका स्वागत करने के लिए पहले से ही खड़े थे। " आओ भाई, अब तुम इस धरती पर अपने नए रूप में अवतरित हुए हो यानि पतिदेव के तो तुम्हारा वेलकम तो हम कुछ सालों कुछ माह पुराने हो चुके मित्रों को करना ही पड़ेगा।", कहते हुए विकास, नमन और सुमित ने मिहिर के हाथों से सामान लेकर गाड़ियों में रख दिया। हँसी मजाक करते हुए वे सब जल्दी ही मिहिर के घर पहुंच गए जहां कमल का स्वागत करने के लिए उनकी पत्नियों ने रंगोली और बंदनवार सजा रखा था।

मिहिर और कमल इस स्वागत से अभिभूत होकर जैसे ही अंदर जाने लगे, उन तीनो में जो थोड़ी बड़ी लग रही थीं यानि विकास की पत्नी नीलम ,ने उनको दरवाजे पर ही रोक लिया। नीलम के इशारे पर अंजली जल्दी से आरती की थाली ले आई। आरती के बाद नीलम ने दोनों का तिलक करके मिठाई खिलाई इसके बाद जैसे ही वे दोनों अंदर पैर रखने को हुए कि इस बार वीना सामने आ कर खड़ी हो गई।

" न न ,बिना नेग अंदर नहीं आने देने वाले हम, मिहिर भईया पहले जेब ढीली कीजिए।"

" अरे यार, वो सफर से पहले ही थके हुए हैं, ये सब नेग उनके घर में हो चुके हैं, अंदर आने दो दोनों को।" नमन ने अपनी पत्नी वीना से कहा।

इससे पहले कि वीना या अन्य कोई कुछ कहता मिहिर ने तुरंत पर्स निकाल कर मुस्कुराते हुए तीनों को शगुन दिया।" बिलकुल आप भाभियों का पूरा हक़ बनता है, अब ये बताइए ,कोई और रस्म तो बाकी नहीं?"

"अब आप अंदर आ सकते हैं।", तीनों ने एकसाथ कहा। कमल ने देखा कि पूरे घर को फूलमालाओं से सजाया गया था साथ ही जगह –जगह दीपक भी लगे हुए थे।" सच भाभी, आप लोगों ने बहुत मेहनत की है। थैंक यू।", कहते हुए वह भावुक हो गई।

" इसमें थैंक्स की बात नहीं है कमल ,हमारी चौकड़ी में एक की कमी थी जो पूरी हो गई पर एक जरूरी बात.... हमारे नाम हैं, भाभी नहीं बोलना तुम। फ्रेंड्स?", कहते हुए नीलम ने हाथ आगे बढ़ाया जिसे कमल ने सहर्ष ही थाम लिया। 

खाना वे सब अपने साथ बनाकर लाई थीं। देर रात तक जमी महफिल आखिरकार नीलम ने ही स्थगित की। " अब उनको सोने दो वैसे तो सब बहुत कह रहे थे कि ये थके हुए हैं।"

सभी के जाने के बाद मिहिर ने दरवाजा बंद किया और शरारत भरी आंखों से देखते हुए कमल की ओर बढ़ने लगा।

" सोचना भी मत, मैं बहुत थक रही हूं। ", कहते हुए कमल बेडरूम की ओर तेजी से भाग कर बिस्तर पर लेट गई।

मिहिर भी उसके पास आकार लेट गया और प्यार से उसका माथा चूमकर बोला, " सो जाओ स्वीटहार्ट , मैं तो बस तुम्हें छेड़ रहा था। मैं लाइट बंद करके आता हूं।"

थोड़ी ही देर में वे गहरी नींद के आगोश में समा गए। अचानक कमल को लगा कोई उसकी कमर पर हाथ फेर रहा है। " मिहिर, सोने दो न, ऐसे नींद नहीं आएगी फिर। प्लीज, हाथ हटा लो।"

थोड़ी देर बाद कमल को गर्दन पर छूहन महसूस हुई।

" मिहिर, मान जाओ।" , कहते हुए कमल ने उसका हाथ हटाने के लिए अपना हाथ बढ़ाया तो उसे मिहिर का हाथ महसूस ही नहीं हुआ जबकि वो उसकी उंगलियों को अब भी अपनी गर्दन पर महसूस कर रही थी। कमल ने आंखें खोलकर अंधेरे में देखने की कोशिश की लेकिन गहरे अंधेरे के कारण उसे कुछ नहीं दिखा।

"मिहिर", उसकी डरी हुई आवाज से मिहिर एकदम उठ गया और तुरंत उसने अपने सिरहाने लगे स्विच बोर्ड से लाइट का बटन ऑन कर दिया।

" क्या हुआ कमल?"

" तुम मुझे छू रहे थे पर तुम्हारा हाथ...", कमल ने उसके हाथों की ओर देखते हुए कहा।

" क्या हुआ मेरे हाथ को? ठीक तो हैं और मैं तो दूसरी तरफ करवट लेकर सो रहा था शायद तुमने कोई डरावना सपना देखा होगा। लो ,पानी पियो।"

" हो सकता है लेकिन वो एकदम सच लग रहा था। ", कमल ने पानी पीते हुए कहा।

" रिलेक्स, होता है ऐसा। आओ सोते हैं। ", कहकर मिहिर ने लाइट बंद करके उसे अपनी बांह में लपेट लिया।

कुछ देर बाद वे फिर सो गए। इस बार कमल को कोई डरावना अहसास नहीं हुआ।


( क्या वाकई यह केवल सपना था या कोई उनके कमरे में था! जानने के लिए मिलते हैं अगले अंक में।)


क्रमशः


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