तलाश सन्नाटों में
तलाश सन्नाटों में
आधी रात का समय था...हवाएं धीरे- धीरे बह रही थीं, ऐसा लगता था जैसे किसी से बच कर दबे पांव वहां से गुजर जाना चाहतीं थीं वे लेकिन रास्ते में आते पेड़ों के कारण यह सम्भव नहीं हो पा रहा था। पीपल के पेड़ के सामने वाले इमली के पेड़ पर एक बड़ी सी काली बिल्ली अपनी लाल आंखों को चमकाते हुए काफी देर से पीपल के पत्तों के झुरमुट में कुछ खोजने की कोशिश कर रही थी। चप्पे-चप्पे पर बिखरा ' सन्नाटा ' मुस्तैदी से निगरानी कर रहा था कि तभी एक सरसराहट वातावरण की निस्तब्धता को तोड़ती हुई गूंजी और पीपल की डाली हल्की चरमराहट की आवाज से हिल उठी। यह सब इतना अचानक हुआ कि काली बिल्ली घबरा कर म्याऊं - म्याऊं करती हुई नीचे कूद गई और सन्नाटा सकपका कर पीपल के पेड़ से दूर भाग गया।
तभी एक गुर्राती हुई आवाज आई , " कौन कमबख्त आ मरा यहां! अब मैं यहां भी चैन से नहीं बैठ सकती!"
परिचित आवाज सुनते हुए वह वह खुशी में भरकर ख़ौफ़नाक आवाज में चिल्लाया, " पिलपिली चुड़ैल... तुम ही हो न यहां ?"
" हाँ, मैं ही हूँ। ", कहकर पत्तो के झुरमुट से कीचड़ से मिचमिचाती दो गोल आंखों ने बाहर आकर झांका और आगुन्तक को देखकर पूरा शरीर मेरा मतलब है कंकाल तंत्र भी बाहर आ गया।
" तुम यहाँ कैसे आ मरे सिरकटे प्रेत ?", जबाब में सिरकटे प्रेत ने अपनी पूंछ में लिपटे अपने सिर को हवा में उछाल कर स्टंट करते हुए उल्टा होकर अपने दोनों पैरों से लपक कर अपनी आंख मार दी।
" तुम मरने के बाद भी मेरा पीछा नहीं छोड़ोगे... पता नहीं किस मनहूस घड़ी में मरी थी मैं। ", पिलपिली चुड़ैल गुस्से में मुँह फेरकर बैठ गई और अपनी आंख से कीचड़ निकाल- निकालकर अपने हाथों पर मेहंदी की तरह सजाने लगी।
" फ़ॉर योर काइंड इन्फॉर्मेशन, तुमने ही कभी कहा था कि मरकर भी तुम मेरा साथ नहीं छोडोगी लेकिन तुमने मेरा मर्डर होने के कुछ महीने बाद ही उस गज्जू हलवाई से शादी कर ली थी और बाद में उससे तंग आकर तुमने फांसी लगा ली थी। ", सिरकटा प्रेत जोर- जोर से हँसने लगा। " वैसे मेरी सैटिंग हो चुकी है किसी से, वह तुमसे भी ज्यादा खूंखार और डरावनी है। सो ...आई हैव नो इंटरेस्ट इन यू। ", सिरकटे प्रेत ने अपने सिर को अपनी बगल में दबा कर अपनी लम्बी काली जीभ निकाल कर चिढ़ाया। " मैं तो बस बीच - बीच में तुम्हारी खोज खबर ले लेता हूँ कि अभी यहीं हो या मुक्त होकर इंसान बन कर पैदा हो गई!"
सिरकटे प्रेत की बात पर पिलपिली चुड़ैल ने बौखला कर सामने वाले इमली के पेड़ पर छलांग लगा दी और वहां बैठे चमकादड़ की गर्दन पकड़ उसे ऊपर उछाल दिया। वह बेचारा चीं चीं करता हुआ तेजी से उड़ गया । यह देखकर पिलपिली चुड़ैल खुश हो गई और चमकादड़ के छोड़ कर गए कीड़ों को बीन कर अपने दांतों में दबा कर बैठ गई। इससे उसे दो फायदे होते थे, पहला- कीड़े उसके खोखले दांतो को कुछ देर के लिए भर देते थे और दूसरा इतनी देर में उन कीड़ों की चटनी बन जाती थी जिसके कारण चुड़ैल को उन्हें चबाने की मेहनत नहीं करनी पड़ती थी।
अपनी सोच में उसने ध्यान ही नहीं दिया कि कब सिरकटे प्रेत का सिर उसके नजदीक आ गया था। " वैसे मैं तुम्हें ढूंढने दो मंजिला खंडहर में रोज जा रहा था।", दांत किटकिटा कर बोलने की आवाज सुनते ही पिलपिली चुड़ैल चौंककर अपना संतुलन खोकर गिरने ही वाली थी कि प्रेत ने पीपल से ही अपनी पूँछ बढाकर उसे थाम लिया और खुद भी उसके पास आकर बैठ गया। चुड़ैल के एक तरफ उसका खी -खी करता हुआ सिर था तो दूसरी ओर प्रेत का थरथराता धड़। पिलपिली चुड़ैल ने खिसिया कर अपनी नाक की हड्डी पर बैठे कीड़े को पकड़ कर मसल कर उसे भी दांत में दबा दिया और दांत भींचे - भींचे ही कहा, " अब मैं वहां नहीं रहती। ये कम्बखत
वीडियो बनाने वालों ने रात में भटकना भी मुश्किल कर दिया है। गाना गाकर उनको डराने की कोशिश करूँ तो वे कैमरा और माइक लेकर मेरे पीछे भागते हैं - ढूंढो ...वो आवाज वहीं से आ रही है। नासमिटे... जैसे मेरी आवाज रिकॉर्ड कर नेहा कक्कड़ से मेरा मुकाबला करवाएंगे- कांटा लगा उई माँ उई माँ!.... नामुरादों के तो मेरा पीछा करते हुए कांटा, पत्थर कुछ भी तो नहीं लगता। .... सारी रात उनसे बचकर भागने के चक्कर में हाँफ- हाँफ कर निकल जाती है और लोगों को डराने का टारगेट भी पूरा नहीं होता।"
" हम्म, तुम इस कारण काफी कमजोर भी हो गई हो गई हो, तुम्हारी हड्डियों का पिलपिलापन सख्त होने लगा है। ", प्रेत ने हाथ लंबा करके अपने सिर को उठाकर फिर से अपनी बगल में दबा लिया।
" इस चक्कर में मेरे खंडहर के सभी किरायेदार भूत- भूतनियाँ चले गए वरना उनसे मुझे मेरे गुजारे लायक खून मिल जाता था। ... ये वीडियो बनाने वाले तो रात भर मेरे खंडहर में घूमने का किराया तो छोड़ो उसकी टिकिट तक नहीं लेते मुझसे। ", चुड़ैल ने मायूस होकर कहा।
" तुम्हारा दुःख वास्तव में बहुत बड़ा है, सोचते हैं कुछ। ", सिरकटा प्रेत उससे बात कर ही रहा था कि अचानक पिलपिली चुड़ैल को कुछ याद आया और वह बिना कुछ कहे उठ कर जाने लगी।
" अरे.रे, मैं तुम्हारे लिए कुछ सोच रहा हूँ और तुम यकबयक कहाँ चल दीं। ", सिरकटे ने चुड़ैल का हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए पूछा।
" अरे मुझे ज़रूरी काम से जाना है कहीं। ", चुड़ैल ने अपने दांतों से बाहर टपकते रस को जीभ से चाटते हुए कहा।
" उस गज्जू से मिलने...", सिरकटे प्रेत की आवाज में जलन थी। " ह हाँ, तुम्हें कैसे पता चला ?", हैरान पिलपिली चुड़ैल ने उसके कटे सिर के पास घूमते भुनगे को लालच भरी आंखों से देखा।
" अब किसलिए जा रही हो वहां, इसे डरा कर अपना बदला लेने ?"
" दरसल मैं रोज उसे डराने ही वहां जाती थी लेकिन वह इतने जोरदार खर्राटे लेकर सोता है कि मैं ही कान पर हाथ रखकर वापिस आ जाती थी। उसके खर्राटों की आवाज में मेरी आवाज उसे क्या.. मुझे ही नहीं सुनाई देती पर परसों वह जगा हुआ था। ", चुड़ैल ने मुँह बनाते हुए बताया।
" तो डरा वह तुम्हें देखकर ?",सिरकटे प्रेत ने उत्सुकता से पूछा।
" उसके दांत में कोई दिक्कत थी इस कारण वह जगा हुआ था। मुझे देख कर वह चौंक तो गया लेकिन डरा नहीं... मैंने पूरी कोशिश की हर चुड़ैलचरित अपनाया। ", झिझकते कर कहते हुए चुड़ैल ने सिरकटे प्रेत को देखा। उसकी पीली आंखें और पीली पड़ गई थीं।
"गज्जू ने मुझसे डरने की जगह प्यार से कहा कि तूने क्या हाल बना लिया है अपना,मेरे साथ चल ,जिस डॉक्टर से मेरे दांत का इलाज करवा रहा हूँ उसी से तेरा भी करवा दूंगा, ये तेरे लम्बे दांत शेप में आ जाएंगे और उसने इन पर सोने का कैप चढ़वाने का वादा भी किया है। ", चुड़ैल शर्मा गई जिसके कारण उसके बिखरे बाल और भी बिखर गए।
" मतलब अब भी तुमको सोने -चांदी का मोह बना हुआ है!", इस बार सिरकटा प्रेत अपना सिर सम्भाल नहीं पाया और उसे डाल से नीचे गिरा दिया। जमीन पर पड़े- पड़े ही वह टुकुर -टुकुर पिलपिली चुड़ैल को देखते हुए उसकी बात सुन रहा था।
" मैं कल भी गई थी लेकिन उसने कहा डॉक्टर दिन में मिलेगा इस पर मैंने उसे कहा कि मैं दिन में नहीं आ सकती। उसने पक्का प्रॉमिस किया है कि वह रात में डॉक्टर को लाएगा। टाब से मैं रोज वहां जाकर उसकी दुकान के बर्तन, घर की सफाई कर आती हूँ... वह मेरे लिए इतना सोच रहा है तो बदले में मुझे भी तो कुछ करना चाहिए न!", कहते हुए पिलपिली चुड़ैल अपनी सारी हड्डियों को समेट कर वहां से उड़ गई। सिरकटा प्रेत अब भी सदमें में वहीं जमीन पर गिरा पड़ा है।