Prafulla Kumar Tripathi

Action Fantasy Inspirational

4.0  

Prafulla Kumar Tripathi

Action Fantasy Inspirational

उजड़ा हुआ दयार-श्रृंखला(17)

उजड़ा हुआ दयार-श्रृंखला(17)

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कुछ लोगों के जीवन में घर बनने के पहले ही उसके उजड़ने की प्रस्तावना लिखी जाने लगती है। वह स्वयं नहीं बल्कि उसका, काल खंड लिखता है। आप लाख कोशिश कर लें विधना के लेख को कौन मिटा सकता है? 

समीर अब भौतिकता से ऊबकर सुखद गृहस्थी का सपना देख रहा है लेकिन उसकी बेटर हाफ़..? बेटर हाफ़ अपने प्रेमी के साथ घर बसाने का ख़्वाब बुनती जा रही है।

आपने औरतों को स्वेटर बुनते देखा है? हमारी पीढ़ी के लोगों ने अवश्य देखा होगा। हमने तो बचपन में ऊन के धागों का गोला भी बनाया है, उसे ढुलका कर बिखरे हैं और फिर डांट खाकर उसे गोला का रुप भी दे दिया है। उसी दौर में सुना करते थे कि क्या करूं मैंने तो काफ़ी कुछ स्वेटर बना लिए थे लेकिन घर ही गिर गया... यानी पूरी बुनाई फिर से! अब तो नई पीढ़ी के लोगों में वह रुचि रही ही नहीं इसलिए यह उदाहरण भी देना व्यर्थ लग रहा है... ।

पुष्पा को इस बात की आहट लग चुकी थी कि समीर अब उससे ऊब चुका है और वह इंडिया जाते ही अपने नीड़ में वापस लौट जाएगा।

उसे चिंता थी कि उसका क्या होगा? 

उधर समीर ने अध्यात्म की शरण ले ली थी। अब वह अपने बीते जीवन को भुला देना चाहता था। लेकिन क्या यह काम इतना आसान था? उसने उन सन्यासी से दीक्षा भी ले ली थी। जब वह पदमासन में बैठकर ध्यान लगाने की कोशिश करता उसे उसका अतीत शर्मिंदा करता रहता ।

 

प्राचीन काल में अपने किसी पाप का प्रायश्चित करने के लिए देवता, मनुष्य या भगवान अपने अपने तरीके से प्रायश्चित करते थे। जैसे त्रेता युग में भगवान राम ने रावण का वध किया, जो सभी वेद शास्त्रों का ज्ञाता होने के साथ-साथ ब्राह्मण भी था। इस कारण उन्हें ब्रह्महत्या का दोष लगा था। इसके उपरांत उन्होंने कपाल मोचन तीर्थ में स्नान और तप किया था जिसके चलते उन्होंने ब्रह्महत्या दोष से मुक्ति पाई थी।

इसी तरह और तमाम तरीके हैं जिनसे आप अपने पूर्व कर्मों के लिए प्रायश्चित कर सकते हैं।

जब उसने एक दिन इस प्रश्न को उन स्वामी जी से पूछा था तो उन्होंने एक उदाहरण देकर उसके मन को दिलासा दिलाया! 

उन्होंने कहा कि जब बच्चे गंदा कर देते हैं, यहाँ तक कि उनकी गोद में मल मूत्र तक त्याग देते हैं तो क्या उनकी माताएं उन्हें फेंक देती है? .. नहीं.. वे उन्हें नहला धुला कर फिर से गोद में लेकर अपना प्यार बरसाने लगती हैं। परमात्मा भी अपने बच्चों को उन्हीं माताओं की तरह कभी भी अपने से दूर नहीं करते हैं... कभी भी नहीं... वे पापियों के पापों का नाश करते हैं, हरण करते हैं।

उधर पुष्पा का मन बचपन से स्पाइडर मैन की तरह कुलांचे भरने का करता रहा है। वह शील मर्यादा के घेरे को तोड़- छोड़कर एक नई दुनिया बसाने की ओर अग्रसर है।

क्या समीर की घर वापसी हो सकेगी? 

क्या मीरा उसके घर की नायिका बनेगी या वह खलनायिका बन कर उसका जीवन वीरान कर डालेगी? 


(क्रमशः) 



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