कारवां गुज़र गया
कारवां गुज़र गया
नीरज के शब्दों में : “स्वप्न झरे फूल से ,गीत चुभे शूल से , लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से और हम खड़े खड़े बहार देखते रहे “......सच ही तो है कि मेरी ज़िंदगी का कारवां गुज़र चुका है और आज मैं उसका गुबार देख रहा हूँ या आप सभी को दिखा रहा हूँ इन पृष्ठों पर।
मेरे साथ ही नहीं आप सभी के साथ भी ऐसा होता रहा है और आगे होता भी रहेगा।हम सब जब पैदा होते हैं तो भगवान कोरे पृष्ठों वाली एक ऎसी किताब भी साथ दे देता है जिस पर हम सब अपनी- अपनी कहानी लिख जाया करते हैं।आज यह जो बायोपिक पर आधारित फिल्मों या कहानियों का दौर चल रहा है वह कहीं और ज़्यादा असंख्य ,रोमांचक और विशाल होता अगर हम सब अपनी अपनी राम कहानियाँ इस दुनिया को दे जाया करते !
हाँ, तो मैं अपनी राम कहानी में कहाँ तक पहुंचा था ? याद नहीं है फिर भी ..|अब तक मैंने इसे हाथ और कलम से लिखी थी और आज मेरी उंगलियाँ अपनी याद के इस कारवाँ के साथ लैपटाप पर चल रही हैं।पता नहीं आप कितना मुझसे जुड़ सकेंगे ..|
जानते हैं , इस समय मेरे पास कुछ छोटी छोटी डायरियां बैठी हैं और मानो कह रही हैं मेरे पन्नों से .........कि पहले मुझमें से भी कुछ लिखो। पहले पन्ने पर मेरी श्रीमती मीना जी ने श्रीगणेश के रूप में जो ज्ञान परोस दिया है उप शीर्षक “अनमोल वचन” और “ धन से क्या मिलता है “ के रूप में , उसे शेयर करना चाहूँगा –
*अनमोल वचन :
-इस तरह न कमाओ कि पाप हो जाय.
-इस तरह न खर्च करो कि क़र्ज़ हो जाय.
-इस तरह ना खाओ की मर्ज़ हो जाय .
-इस तरह ना बोलो की क्लेश हो जाय.
-इस तरह ना चलो कि देर हो जाय .
-इस तरह ना सोचो कि चिंता हो जाय !
*धन से क्या मिलता है ? :
-धन से पुस्तक मिलती है ज्ञान नहीं .
-धन से आभूष्ण मिलता है किन्तु रूप नहीं .
-धन से साथी मिलते हैं सच्चे मित्र नहीं.
-धन से भोजन मिलता है भूख नहीं.
-धन से सुख मिलता है आनन्द नहीं .
-धन से दवा मिलती है स्वास्थ्य नहीं .
-धन से एकांत मिल सकता है शान्ति नहीं ..!
सचमुच इन बातों में वज़न तो है ही लेकिन कितना हम इन पर अमल कर पाते हैं यह हम ही जानते हैं।सच, और कड़वा सच तो यह है कि आज के दौर में यदि आपके पास धन ना हो तो ना पुस्तक मिलती है ना ज्ञान,ना आभूषण मिलता है ना रूप,ना साथी मिलते हैं ना सच्चे साथी ,ना भोजन, सुख, दवा, शान्ति कुछ भी तो नहीं मिल पाता है। इसी तरह कमाने वाला पाप कर ही नहीं सकेगा या कर लिया तो पकड में नहीं आयेगा ,क़र्ज़ लेकर ही तो माल्या सरीखे अरबपति बन सकते हैं ..|
इसलिए रहे होंगे ये अनमोल वचन किन्तु अब तो ये आउट डेटेड हैं।
वर्ष 2014 का अप्रैल महीना। मीना ,श्रीमती जी के आग्रह पर योगदा सत्संग संगम के लिए हम दोनों 10 अप्रैल की रात में ट्रेन से लखनऊ से 667 कि.मी.चंडीगढ़ और फिर चंडीगढ़ के सेक्टर 43 के बीएस स्टैंड से लगभग 2 बजे 326 कि.मी. चल कर बस से मनाली पहुंचे हैं।चंडीगढ़ और मनाली के तापमान में ज़मीन आसमान का अंतर।कंपकपांती ठंढक में रात लगभग 12 बजे मनाली बस स्टैंड पर जब हम पहुंचे तो पूरी घाटी लगभग सोती मिली। स्टैंड से दो कि.मी. की दूरी पर हमें योगदा सत्संग के आयोजन स्थल “God Talk With Arjun” Spiritual Retreat पर जाना था। हमने फोन करके किन्हीं एस.सी.गुप्ता,अनूप काटोच,कंचन जामवाल जी से सम्पर्क किया।बताया गया कि एडवेंचर लाज अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीच्यूट आफ माउन्टेयरिंग एंड एलायड स्पोर्ट्स में हमारे ठहरने की व्यवस्था है और अगर ऑटो ना मिले तो वे पिकप करने आ रहे हैं। जान में जान आई।
ठंढक चरम पर थी।अच्छा हुआ कि एक ऑटो वाले को हम पर दया आ गई और वह हमें गंतव्य तक ले गया। पर्वतारोहण के विधिवत प्रशिक्षण के लिए बना यह संस्थान पहाड़ से सटा अत्यंत मनोरम परिसर में स्थित था और इसके गेस्ट हाउस के क्या कहने ! समस्त सुख सुविधाओं से लैस। हाँ,अप्रैल के महीने में जब मैदानों में भयंकर गर्मी पड़ा करती है यहाँ भरपूर सर्दी थी। दिन ठीक रहता लेकिन रात ठंढक लिए होती।लगभग एक सप्ताह तक हम लोगों का सत्संग,क्रियायोग पर प्रवचन आदि चलता रहा।लगभग पचास प्रतिभागियों का यह अद्भुत आध्यात्मिक सम्मिलन था।निर्धारित समय सारिणी से दिनचर्या चला करती थी। इस अध्यात्म संगम के आखिरी दिन हमलोग सबसे पहले एक पहाड़ी पर बने हिडिम्बा मंदिर गए जो लकड़ी का बना बेहद खूबसूरत मन्दिर था।हमने मंदिर के बाहर याक की सवारी भी की।उसके आसपास सेव के बागीचे भी थे। उसी के निकट के गुलाबा गए जहां चारो ओर बर्फ़ ही बर्फ़ थी।इसके बाद हम सोलांग घाटी भी गए जिसे हिम प्वाइंट भी कहते है।यहां भी बर्फ़ ही बर्फ़ बिखरी हुई थी। आश्चर्य यह कि उन पहाड़ों पर कुछ बौद्ध संन्यासी ऐसे भी मिले जो बिना चप्पल और गर्म कपड़ों के कहीं जा रहे थे। स्नो स्कूटर, पैराग्लाईडिंग ,एयर बैलून ,स्कीइंग, आदि खेल के इंतजाम थे। पूरे दिन हम वहीं थे। शाम हमने माल रोड की खरीदारी में बिताई।
अगले दिन हमारी वापसी थी। सुबह की बस से हम लगभग 2 बजे दिन में चंडीगढ़ पहुंचे और सेक्टर 28 स्थित गूजर भवन के योगदा सत्संग भवन में सामान रखकर चंडीगढ़ घूमने निकले। वेस्ट मेटेरियल से बना विश्व प्रसिद्ध्ध राक गार्डेन और सुखना लेक गए।रॉक गार्डेन में झरने के पास फ़ोटोज़ लिए। सुखना लेक में बोटिंग का आनन्द उठाकर हमने वहां के फेमस छोले कुल्चे और चुरचुरी नान खाई।16 अप्रैल की रात की ट्रेन से चलकर हम 17 की सुबह लखनऊ वापस आ गए।