उधार के रिश्ते
उधार के रिश्ते
मणि की बेटी की शादी तय हो गई थी और वह शादी की तैयारियों में बड़े ही ज़ोर शोर से जुट गई थी| छोटा परिवार सुखी परिवार, सो मणि की एक बेटी गिन्नी है| मणि दो बहनें और उसके पति अनिल एक भाई, एक बहन| सभी अलग अलग शहरों में रहते हैं इसलिए मणि जानती है कि शादी के सारे काम उसे और अनिल को ही करने हैं|
मणि की बहन रत्ना ने उससे कहा है कि शादी के दस दिन पहले वह आ जाएगी सहयोग के लिए, लेकिन शादी का काम भी तो बहुत होता है| सो कब दिन बितता है और कब रात होती है कुछ पता ही नहीं चलता मणि और अनिल को| मणि ने अपनी माँ और सासु माँ दोनों से रीति-रिवाजों, रस्मों के बारे में जानकारी भी लेनी शुरू कर दी थी| सभी रीति-रिवाज और रस्म तो सही थे, पर कन्यादान में कन्या मामा के यहाँ से आए कपड़े पहनती है, ऐसा मणि को सासु माँ ने बताया|
ये सुन कर वह रुआंसी हो गई कि अब वह मामा कहाँ से लाए? मणि ने अपनी माँ से बात करना उचित नहीं समझा, पर माँ की व्यथा अपनी बहन से कह डाली| साथ में यह भी पूछा कि क्या चाचा के बेटे से कहे कन्यादान के कपड़े लाने को| साथ में डर इस बात की भी थी कहीं उन्हें यह रस्म और रिश्ता जबरजस्ती का ना लगे| अपनी बात कह कर मणि ने रत्ना से सलाह माँगी |
रत्ना थोड़े असमंजस में थी कि वह अपने मन की बात कहे या ना कहे| फिर भी उसने कहा "सुन मणि, हम तो दो बहनें हैं| ये रीति-रिवाज और रस्में उस समय के हैं जब परिवार बड़े होते थे या तो संयुक्त होते थे, इसलिए वहाँ सारे रिश्ते मिल जाते थे| अब तो चाचा के बेटे से बात कर के उधार के रिश्ते ना बना| गिन्नी के कन्यादान के कपड़े मैं लाऊँगी, उधार के मामा से तो सगी मासी बेहतर है| तुझे क्या लगता है? मैंने सही कहा!"
इसपर मणि कहती है, "रत्ना तूने तो मेरे मन की सारी कशमकश और दूविधा दूर कर दी| अब जल्दी से आ जा मेरी मदद के लिए"|