फिर इतना दिखावा किस लिये जब घरेलू खर्चे ही पूरे नहीं हो पा रहे तो फिर इतना दिखावा किस लिये जब घरेलू खर्चे ही पूरे नहीं हो पा रहे तो
रत्ना थोड़े असमंजस में थी रत्ना थोड़े असमंजस में थी
बालों का खरीदार बालों का खरीदार
अपने लिए सब सह रही थी पर राधा, माता-पिता के खिलाफ एक शब्द सुनने को तैयार नहीं थी। अपने लिए सब सह रही थी पर राधा, माता-पिता के खिलाफ एक शब्द सुनने को तैयार नहीं थी...
यह सुनकर रघु बहुत खुश हो जाता है और मालती को गले लगाते हुए कल के लिये योजना बनाने लगता यह सुनकर रघु बहुत खुश हो जाता है और मालती को गले लगाते हुए कल के लिये योजना बनान...
लेखक: सिर्गेइ पिरिल्यायेव भाषांतर : आ. चारुमति रामदास लेखक: सिर्गेइ पिरिल्यायेव भाषांतर : आ. चारुमति रामदास