दिखावा

दिखावा

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अरे! सुनीता कहाँ जा रही हो। बस आंटी घर जा रही हूं, चलो मैं भी साथ चलती हूँ । सुनीता मिसेज गुप्ता के घर के सामने ही रहती थी और उनकी नातिन को ट्यूशन भी पढ़ाती थी। मिसेज गुप्ता ने आगे बात शुरू की पता है सुनीता, हमारी प्रिया को इतना अच्छा रिश्ता मिल गया कि मैं बता नहीं सकती। लड़का दिल्ली में अच्छी कंपनी में नौकरी करता है और उनकी कुछ मांग भी नहीं है फिर भी हम 15 लाख की कार दे रहे है। प्रिया ने 50 हज़ार का लहँगा लिया है शादी के लिए। शहर के सबसे महंगे वेडिंग प्लानर को बुक किया है। अभी शादी में एक महीना है और खर्चा 40 लाख तक पहुँच गया है। एक ही तो लड़की है हमारी इसलिए बहुत भव्य शादी करनी है।


सुनीता मिसेज गुप्ता की बातें सुनती जा रही थी और मन में सोच रही थी कि दो महीने से नातिन की ट्यूशन फ़ीस तो दी नहीं तीन बार प्रिया से बोल चुकी हूँ आज कल बोल कर टाल देती है अभी कुछ दिन पहले ही बिजली विभाग से कुछ लोग बिजली काटने आये थे चार महीने से बिल नहीं भरा था। फिर इतना दिखावा किस लिये जब घरेलू खर्चे ही पूरे नहीं हो पा रहे तो इतना फिजूल ख़र्च करने की क्या जरूरत है जितनी चादर हो उतने ही पैर पसारने चाहिए। अभी कल ही मम्मी बता रही थी कि गुप्ता जी की बहू आई थी 700 रूपये उधार लेने सिलेंडर डिलीवरी बॉय को देने के लिए। जिसके घर मे ऐसे छोटे-छोटे खर्चे भी पूरे न हो पा रहे हो तो इतना फिजूल खर्च करके समाज में दिखावा करने की क्या जरूरत है। 

चलो घर आ गया बातों में रास्ते का पता ही नहीं चला मिसेज गुप्ता ने सुनीता को हाथ हिलाते हुए कहा। सुनीता मन में ऐसे बहुत से सवाल लेते हुए घर आ गई।


दोस्तों आज भी हमारे समाज में ऐसे बहुत लोग है जो सिर्फ दिखावा करने और रिश्तेदारों में अपने को श्रेष्ठ दिखाने के लिए फ़िजूल ख़र्च करते है भले ही घर की जरुरतें उधार ले कर पूरी हो रही हो।



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