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Babita Kushwaha

Others

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Babita Kushwaha

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लॉक डाउन डे 21

लॉक डाउन डे 21

4 mins
233


डियर डायरी,

आज जब आँख खुली तो घड़ी 8 बजा रही थी। हड़बड़ाकर उठी तो पतिदेव पहले ही उठ चुके थे फिर ध्यान आया आज तो इनकी छुट्टी है। किचन से बर्तनों की आवाज़ आ रही थी जाकर देखा तो वो चाय बना रहे थे।

"अरे आज आप जल्दी उठ गए मुझे जगाया क्यों नही?"


"तुम सोते हुए बहुत खूबसूरत लग रही थी इसलिए जगाने का मन नही हुआ" उन्होंने शरारती आँखों से देखते हुए कहा,

मुझे भी उन पर प्यार आ गया सोचा एक प्यार भरी झप्पी के साथ दिन की शुरुआत की जाए। जैसे ही आगे बड़ी बैडरूम से बेटे की रोने की आवाज़ से मैंने उस और दौड़ लगा दी। सोम उठ गया था मेरे उठते ही उसकी नींद भी खुल जाती है मैं कितनी भी धीरे से उठती हूँ पर पता नहीं उसे कैसे पता चल जाता है की मम्मा मेरे पास नहीं है। कहने को तो अभी तीन साल का है पर बातों में वो सभी को हरा सकता है। लॉक डाउन के कारण पति भी घर पर ही रहते है इसलिए आज कल वो भी काम में हाथ बंटा देते है। बेटे को लेकर बाहर आई तब तक स्वामी जी की चाय बन चुकी थी वो चाय के साथ बेटे के लिए दूध भी ले आये। सोम और मैने साथ में ही ब्रश किया और स्वामी जी के पास जा बैठी।


"वाह चाय तो बहुत ही अच्छी बनी है सच मे मज़ा आ गया"

"अजी ये तो कुछ नहीं लॉक डाउन अभी तो और बढ़ गया है अब तो मेरा कुकिंग में डिप्लोमा हो ही जायेगा। और तुम्हारे जैसा टीचर हो तो कहना ही क्या" कहते हुए उन्होंने एक घूंट मेरे कप से पी लिया।


बेटा जो पास ही बैठा दूध पी रहा था गुस्से से पापा की और देखता है।

"मम्मा की चाय क्यों पी आपने" कहते हुए मेरी गोद में आ बैठा। हम दोनों को हँसी आ गई।


सोम को मुझसे कुछ ज्यादा ही लगाव है। ऐसा नहीं है कि वो अपने पापा को पसन्द नहीं करता उनके साथ भी वो खूब एन्जॉय करता है लेकिन जब वो छुट्टी के दिन घर पर होते है तो बेटा मुझे बिल्कुल भी नहीं छोड़ता। शायद इस उम्र में सभी बच्चे ऐसे ही होते है।

स्वामी जी पर भी आज कल कुछ ज्यादा ही रोमांस छाया हुआ है। बेटा टीवी पर कार्टून देखने मे व्यस्त था और मैं किचन में लंच बनाने में। पतिदेव मौका देखकर गुनगुनाते हुए आये और पीछे से बाहों में भर लिया। सुबह का जो आलिंगन अधूरा रह गया था उसे पूरा करने को जैसी ही पलटी नजर सीधे बेटे पर पड़ी जो दोनो हाथों को कमर पर लागये पास में खड़ा था हम दोनों को ही पता ही नहीं चला बेटा कब आ कर खड़ा हो गया था।


"मेरी मम्मा को छोड़ दो.....ये मेरी मम्मा है...मैं मॉन्स्टर हूँ आपको खा जाऊँगा" कहते हुए पापा के पीछे खिलखिलाकर भागा।


दो बार की असफलता के बाद अब पति का चेहरा देखने लायक था। वो कहते है न बच्चे के आने से पहले जितना रोमांस करना है कर लो बच्चों के बाद तो यह बहुत ही मुश्किल हो जाता है। पर मैं तो वो भी न कर पाई। शादी के बाद मैं ससुराल में सबके साथ रहती थी पति की नौकरी दूसरे शहर में थी। दो महीने में एक हफ्ते की छुट्टी ले कर आ पाते थे। संयुक्त परिवार में होने के कारण सुबह उठने से लेकर रात तक पति से मिलना संभव न हो पाता। सबके साथ काम करते कब समय निकल जाता पता ही नहीं चलता था। उस समय हम पति पत्नी एक दूसरे को दूर से देखकर ही मन को आनंदित कर लेते थे इतने पास होते हुए भी हम रात का इन्तजार करते रहते। आज मैं दूसरे शहर पति के साथ रहती हूं अब हमारे साथ हमारा बेटा भी है जो हर दम अपने पापा पर नजर रखता है। सोचते है चलो रात तो अपनी है पर जब तक हम न सोए बेटा भी सोने का नाम नही लेता उसको सुलाने के लिए हमे भी सोने का नाटक करना पड़ता है उसको सुलाने के चक्कर में कब हमारी भी आँख लग जाती है हमे खुद पता नहीं चलता।



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