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Shakun Agarwal

Abstract

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Shakun Agarwal

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उबटन

उबटन

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मिनीकितनी बार तुमसे कहा है कि तुम इसके साथ मत खेला करो।शालिनी ने लल्ली के साथ बाहर लॉन में खेल रही मिनी को टोका।लल्ली उनकी नौकरानी की बेटी थी जो भीतर बर्तन माज रही थी।

लेकिन मम्मा मुझे लल्ली के साथ खेलना अच्छा लगता है,अभी हम घर घर खेल रहे,आप हमें डिस्टर्ब मत करो,मिनी ने कहा।

मिनीsss शालिनी जोर से चीखी और उसे लगभग खींचते हुए घर के अंदर ले जाने लगी और लल्ली को एक कोने में चुपचाप बैठने की हिदायत दी।

लेकिन मम्मा मैं लल्ली के साथ क्यों नहीं खेल सकती ?

बेटा उससे तुम्हारा क्या मुकाबला? वो झोपडी पट्टी में रहने वाली और तुम इस आलीशान घर में।वे छोटे लोग हैं और हम बड़े।किसी ने तुम्हे उसके साथ खेलते हुए देख लिया तो उपहास होगा हमारा।इसलिए तुम आइंदा उसके साथ नहीं खेलोगी।

अच्छा ये सब छोड़,देख आज रूपचौदस है। मैंने उबटन बनाया है, आ तुझे इससे रगड़ कर नहला दूँ।

लेकिन मम्मा उबटन लगाने से क्या होगा ?

बेटा इससे शरीर से सारी कालिख, मैल निकल जाएगा,और हमारी लाडो की त्वचा कमल के जैसे खिल जाएगी।

लेकिन मम्मा क्या कोई ऐसा उबटन नहीं है, जिससे हमारे मन की सारी कालिख, मैल निकल जाए ? ऊंच-नीच,अमीर गरीब का भेदभाव मिट जाए और मन कमल की तरह खिल जाए ? फिर मैं लल्ली के साथ खेल सकूँ।


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