आखिर कब तक ?
आखिर कब तक ?
डोरबेल बजी,चाचा ने गेट खोला, माँ आ गई थीं बाजार से सौदा लेकर।
अच्छा मिनी चलता हूँ,मैं फिर आऊँगा,चाचा ने कहा।
धन्यवाद भैया मिनी का ध्यान रखने के लिए,माँ ने घर में घुसते ही चाचा से कहा।चाचा जिनके भरोसे माँ मिनी को छोड़ बाजार गईं थी रसोई का सामान लाने।
चाचा चले गए लेकिन उनके शब्द मिनी के कानों में गूँज रहे थे,मैं फिर आऊँगा... मैं फिर आऊँगा।
नहीं चाचा के रूप में शैतान...तुम फिर कभी नहीं आओगे। आखिर कब तक चलेगा ये ?
माँ भी तुम पर भरोसा कर मुझे तुम्हारे भरोसे छोड़ देती है लेकिन अब नहीं होगा ये सब।अब इस रिश्ते का कोई लिहाज नहीं। दृढ़ता के साथ कदम बढ़ाते हुए मिनी रसोई की ओर बढ़ चली, जहां माँ बाजार से लाया समान रख रही थी।
