संस्कार
संस्कार
"राहुल बैठो मेरे पास, तुम्हें कुछ सीख देनी है।"रीता ने अपने बेटे राहुल को पास बैठाते हुए कहा,जिसे पंद्रह दिन बाद ही दूसरे शहर पढ़ाई के लिए जाना था।
"देखो तुम्हें अनजान शहर में खुद ही अपना ख्याल रखना होगा।अपने संस्कारों को बनाए रखना तुम्हारी जिम्मदारी होगी।पढ़ाई के साथ साथ समय का भी तुम्हें ध्यान रखना होगा।अपनी महिला सहपाठियों को भी तुम्हें सम्मान देना होगा।बुरी आदतों से खुद को बचाए रखना होगा।"
पास बैठी रीता की ननद विभा ने तुनक कर कहा कि "भाभी तुम भी नाहक क्यों परेशान हो रही हो।लड़का है, अपने हिसाब से सब तय कर लेगा।"
रीता ने कहा-"क्यों जीजी जब हम बेटियों को यह शिक्षा देते हैं कि वह अनजान शहर में सम्हल कर रहे,अपना ख्याल रखे,अपने संस्कारों को बनाए रखे।तो फिर बेटों को क्यों नहीं शिक्षा दें।यदि बेटों को भी ये शिक्षा दे दी जाए तो बेटों के साथ साथ बेटियाँ भी सुरक्षित रहेंगी।"
