वो इस द्वंद्व में पड़ना भी नहीं चाहता। वो बस परिणाम से खुश था। वो इस द्वंद्व में पड़ना भी नहीं चाहता। वो बस परिणाम से खुश था।
"नींद लाज़मी है आने को ख़्वाब।" "नींद लाज़मी है आने को ख़्वाब।"
फिर उसके कदम चल पड़े थे पार्क की ओर। उसकी एक झलक देखने के लिए वो व्याकुल हो जाता था। ऐसा नहीं था कि व... फिर उसके कदम चल पड़े थे पार्क की ओर। उसकी एक झलक देखने के लिए वो व्याकुल हो जाता ...
आखिरकार अब राजपती अपने अंधेरे कमरे से बाहर आ गयी थी। आखिरकार अब राजपती अपने अंधेरे कमरे से बाहर आ गयी थी।
लेकिन उन्हीं यादों के साथ आने वाले कल को संवारना तो हमारे ही हाथ में है। लेकिन उन्हीं यादों के साथ आने वाले कल को संवारना तो हमारे ही हाथ में है।
और फैसल सेख के दर्शन का इंतजार करेगी ? और फैसल सेख के दर्शन का इंतजार करेगी ?