Pandav Kumar

Tragedy Crime Thriller

3.9  

Pandav Kumar

Tragedy Crime Thriller

अपहरण

अपहरण

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बचपन में जितनी दुनिया आदर्श लगती है ना, वास्तव में उतनी होती नहीं है। कहते हैं कि मानव अपने भाग्य का निर्माता खुद होता है। होता है , लेकिन सिर्फ कहानियों में। दुनिया आपके साथ ऐसा खेल खेलती है कि कभी कभी लगता है कि बल्लेबाज गेंदबाज और क्षेत्ररक्षक सब के सब वही है आप सिर्फ और सिर्फ गेंद है। जिधर दुनिया चाहती है आपको उधर फेक देती है।

कुछ ऐसी ही स्थिति सुशांत के साथ होती है।

सुशांत का जन्म बिहार के मध्यम वर्गीय परिवार में होता है, और हर मध्यम वर्गीय परिवार की तरह सुशांत का परिवार भी चाहता है कि वो पढ़ लिखकर आईएएस बने। पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं, ठीक वैसा ही हुआ सुशांत पढ़ने में बहुत होशियार था। हर जगह उसी की चर्चा होने लगी ।

बिहार में जब कोई बच्चा दसवीं की पढ़ाई कर लेता है ना, तब उसके मन में कॉन्फिडेंस कि जगह एक डर पैदा हो जाता है। उसे ऐसा लगने लगता है कि ना जाने कब ये दुनिया मेरे सपनों का गला घोंट देगी। ठीक वैसा ही डर अब सुशांत के मन में भी आने लगा । अब वो खुद को आजाद नहीं बल्कि खुद को घर के चारदीवारी में कैद करके रखने लगा क्योंकि उसे अपने सपने को जीना था, उसे आईएएस बनना था।

उसके लिए अब पढ़ाई ही सब कुछ था, लेकिन दुनिया को इससे क्या फर्क पड़ता है कि तुम्हारे लिए क्या महत्वपूर्ण है उसे तो खुद का काम निकालना होता है। सुशांत के जिंदगी का वो काला दिन आता है जब दुनिया उसके सपनों का गला घोंट देती है, उसके मन का डर अब सच होने जा रहा था, वो चीखता चिल्लाता मगर उसकी सुनने वाला कोई था ही नहीं। उसकी हर एक चीख उसके शांत स्वभाव में बदले की आग भर रहा था।

सुशांत का अपहरण हो गया था, उसे चार लोग पकड़ कर एक मंदिर की तरफ ले जा रहे थे जहां उसकी शादी होने वाली थी। अब उसका सपना मर चुका था और शायद वो भी। ना ना आप गलत सोच रहें है शांत स्वभाव वाला सुशांत मर चुका था, अब दूसरा सुशांत का जन्म भी हो चुका था। उसकी शादी जबरन कर दी जाती है, उसके परिवार वाले कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाते हैं और उनके हाथ में रह जाता है तो सिर्फ और सिर्फ उसके बच्चे का टूटा हुआ सपना, जिसे अब कितना भी जोड़ने का प्रयास किया जाए तो वो जुड़ नहीं सकता।

बस अब वक्त बीत रहा था। सभी लोग अपने काम में मग्न हो गए थे, मगर उनको तनिक भी भनक नहीं थी कि उन्होंने क्या देखा ?क्या सुना ? और क्या देखने वाला है ? उन्हें तो सिर्फ ये लगा था कि ये पक रौआ शादी अन्य शादी की तरह ही किसी ना किसी तरह सफल हो जाएगी लेकिन उन्हें खबर नहीं थी किसी के सपनों को तोड़ना उसे जान से मार देने से भी बड़ा गुनाह साबित हो सकता है। सुशांत अपने गृहस्थ जीवन को शांत स्वभाव से जीने की कोशिश कर रहा था मगर वो शांति तूफान के आने के पहले की खामोशी साबित हुई।

सुशांत कुछ दिनों बाद घर से दूर चला गया था । गांव वाले सुशांत को भूल चुके थे क्योंकि इस तरह की शादी तो उस इलाके के लिए आम बात थी इसलिए लोगों को कोई चिंता भी नहीं थी। इस तरह की शादी अब धड़ल्ले से होने लगी रोज उस इलाके का सपना टूट रहा था। हर रोज कुछ सपने गृहस्थ जीवन में अपना दम तोड़ रहा था। तभी उस गांव में एक दिन ही एक साथ चार लोगों की हत्या हो जाती है। सभी लोग अचंभित थे कि जिस लोग की पहुंच कोर्ट कचहरी तक थी, जिसे अपहरण और जबरन शादी के केस में कोर्ट सजा नहीं दे पाती उसे एक साथ कोई कैसे मार सकता था ? पुलिस अपनी कागजी कार्रवाई करने के बाद छानबीन करती है तब तक बहुत दिन बित चुके थे और इतने दिनों में गांव वालों ने बहुत सी हत्याएं देखी । गांव में जबरन शादी की घटना ना के बराबर हो गई थी।

गांव के अंकुरित स्वप्न थोड़े खुश दिख रहे थे और थोड़े हैरान भी की आखिर ये किया किसने ? तीन वर्षों के कठिन परिस्थिति में पुलिस जांच करके सुशांत को सीरियल किलर घोषित करता है। उसे कोर्ट में पेश किया जाता है। काफी बड़ी बहस और बहुत दिनों की मसक्कत के बाद कोर्ट सुशांत को फांसी की सजा सुनाती है।

सुशांत आज मरकर भी बहुत से नवल पुष्प का आज हीरो बन चुका था। उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि सुशांत के द्वारा अख़्तियार किया गया तरीका सही था या गलत ? और वो इस द्वंद्व में पड़ना भी नहीं चाहता। वो बस परिणाम से खुश था।


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