तुम्हारी याद
तुम्हारी याद
इस चाँदनी रात में छत पर बैठ कर, प्यार से स्पर्श करती इन हवाओं में तारे गिनना और तुम्हे याद करना.....आहा....! कितना बेहतरीन अनुभव है और शायद शब्दों में बयां कर पाना थोड़ा कठिन है। वैसे बात तो थोड़ी अजीबोगरीब लग सकती है तुम्हे.....क्योंकि तुमसे मिलना तो रोज ही होता है मेरा, पर आज कुछ अलग सा महसूस हो रहा है पता नही क्यों। शायद इसलिए कि आज तुम्हारे साथ काफी प्यारी यादें बनाई मैंने....या यूँ कहूँ की आज हमने बहुत प्यारी यादें बनाई। दरसल यही छोटी-छोटी बातें तो रिश्ते में प्यार और खुशियाँ लाया करती हैं....और तुम पास होती हो तो सब पूरा सा लगता है.....ऐसा लगता है जैसे तुम मेरा ही एक हिस्सा हो जो मेरे साथ है। तुम्हारा मेरे साथ होना मुझे पूरा कर देता है।
तुमपर मैं कुछ लिख भी नही पाता.....क्योंकि क्या है न जो चीज़ अनमोल हो उसके बारे में क्या ही लिखा जाए.....मेरे लिए जो खुद में हीं अनमोल है उसपर कुछ लिखना सम्भव नही है....क्योंकि शब्दों की किल्लत पड़ने लगती है। लहरों में फँसे कश्ती पर सवार लोग चाहते हैं कि उन्हें कोई ऐसा मिले जो उन्हें किनारे पर ले आये.....पर मैं ये चाहता हूँ कि हम दोनों मिल कर उन लहरों से लड़े और एक साथ किनारे पर आ कर खुशियाँ मनायें।
अब तुम भी सोंच रही होगी कि मैं सिनेमा का डायलॉग मार रहा हूँ.....पर जान ये बस इसलिए नही की हमारा रिश्ता नया है....बल्कि इसलिए क्योंकि तुम्हारे लिए दिल से ये सब निकलता है.....और हाँ.... तुम बहुत याद आ रही हो।

