Akshay kumar

Romance

4.3  

Akshay kumar

Romance

किसी खास का साथ

किसी खास का साथ

3 mins
271


ज़िन्दगी काफी अकाल्पनिक है.....आपके साथ आने वाले चंद दिनों में या चंद मिनटों में ही क्या होगा ये बात आप सोच भी नहीं सकते। बस कुछ इसी तरह का हाल मेरा भी था.....खुद को ही खो दिया था मैंने.....अपने ही नज़रों में गिरता चला जा रहा था। वैसे तो मैं पॉजिटिव रहने वाला ही इंसान हूँ पर ज़िन्दगी में कुछ परिस्थितियाँ ऐसी आ जाती हैं जो आपके स्वभाव को ही पूरी तरह बदल देता है। पर ये गलत है.....वो क्या है ना, लोगों ने तो यूँ ही अंधेरे को बदनाम कर रखा है.....ये तो बस रात ही हैं जब तारे चमकते हैं और वो कितने खूबसूरत लगते हैं.....चैन से देखने बैठो तो उन तारों की चमक में तुम्हें तुम्हारी मुस्कान नज़र आएगी जो तुमसे ये कहेगी की ज़िंदगी बहुत खूबसूरत है.....एक बार जी कर तो देखो.....एक बार मुस्कुरा कर तो देखो।


पर इस ज़िन्दगी के दौर में एक सही इंसान का साथ होना बहुत आवश्यक होता है......क्योंकि आदमी अकेला थक जाता है चलते चलते.....पर अगर वो इंसान गलत हो तो आप उस ज़िन्दगी के दौर में घुटने के बल गिर जाओगे.....अगर शिकस्त नहीं भी चुनोगे तब भी धीरे धीरे विलीन होते चले जाओगे.....इसलिए ज़िन्दगी में एक सही इंसान का होना बहुत जरूरी होता है......जिसके लिए जितने खास तुम हो.....उतनी ही खास वो भी हो तुम्हारे लिए।


इंग्लिश में एक quote है "The best thing happens when you least expect them." और यही जीवन का सच भी है। और यही चीज़ मेरे साथ भी हुआ......सोचा तो नहीं था......पर हुआ......और बहुत खूब हुआ। जब एक सही इंसान तुम्हारी ज़िन्दगी के दरवाजे पर दस्तक देता है न.....तब अगर तुम ना भी चाहो.....भगवान वो दरवाज़ा खुद ही खोल देगा। और फिर तुम्हें भी महसूस होगा कि हाँ यार.....इनका मेरी ज़िंदगी में आना एक सुंदर सपना सा है जो दरसल एक सपना नहीं हकीकत ही है। मैं अपनी ज़िंदगी के सबसे निचले दर्जे पर था.....जहाँ ना किसी चीज़ से खुशी मिलती थी ना ही हँसी.....और लोग भी मेरे साथ नहीं रहना चाहते थे क्योंकि मेरा स्वभाव पूरी तरह बदल गया था मेरे बीते हुए कल के कारण। बस ज़िन्दगी काट रहा था। 

और उसी दौरान उस सुंदर सपने जैसे हकीकत का शुरुआत हुआ।


वो ऐसे आई और चंद दिनों में ही इतने करीब आ गई जैसे गुलाब की पंखुड़ियों पर सुंदर तितलियाँ आ जाती हैं....और धीरे-धीरे अस्ताचलगामी सूर्य की तरह खूबसूरत होती चली गई। हाँ.... चंद दिन ही हुए हैं.....पर लगता है दिल से कितने सालों से पहचान है.....कुछ दिनों के ही बातचीत में दिल की आवाज़ आई.....ये सही इंसान है.....और हाँ.... दिल की आवाज़ एक बार गलत हो सकती है.....बार बार नहीं.....और कुछ चीजों का फैसला दिल पर ही छोड़ देना चाहिए। तो बस दिल ने भी ना जाने कैसे फैसला ले लिया.....और संयोग भी ऐसा की उनके दिल ने भी बिल्कुल वही फैसला लिया.....मैंने कहा था न.....ऐसा लगता है जैसे दिल से कितने सालों से पहचान है उनसे। भले ही कुछ दिन हुए हैं......पर मेरी कोशिश यही रहेगी कि उन्हें हर वो खुशी दे सकूँ जिसकी वो हकदार हैं.....आखिर प्यार करता हूँ उनसे......जान हैं मेरी वो......उनके ही आने से एक उम्मीद लौटी है मेरे ज़ेहन में फिर से। और ये उम्मीद बरक़रार रहेगी.....क्योंकि उनके भी दिल में उतना ही प्यार का समंदर जितना मेरे में।


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