Akshay kumar

Fantasy

1.7  

Akshay kumar

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रात की खामोशी

रात की खामोशी

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रात की खामोशी को महसूस करना एक अलग ही एहसास है। भावनाओं की अजीब सी हलचल होती है दिल में इस समय। कुछ ऐसा ही एहसास अभी मुझे हो रहा है, काश! इस एहसास को शब्दों में बयां कर पाता। बहुत सी यादों का शोर एक साथ सुनाई दे रहा किसे महसूस करूँ समझ नहीं आ रहा। इतनी गहराई है इन भावनाओं में कि मैं डूबा जा रहा हूँ, और डूबना चाहता हूं शायद। अच्छा लग रहा है ,पर डर भी । डर इस बात का कि फिर सुबह हो जा

एगी और ये शोर , सन्नाटों का शोर सभी गायब हो 

जाएंगे। इस गहराई के तह तक पहुँचना चाहता हूं मैं। क्या इसका कोई अंत है ? होगा जरूर पर मैं पहुंचने में असमर्थ हूं अभी। किसी दिन तो जा पाऊंगा तह तक इसके। सपनों से भी खूबसूरत एहसास है ये शायद इसे इतना ही शब्द दे पाऊंगा जो बहुत कम है ना के बराबर। अफसोस रहेगा कि इस एहसास को मैं शब्द नहीं दे पाया। उफ्फ क्यों ? क्यों ?


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