तुम तो ठहरे परदेसी
तुम तो ठहरे परदेसी


कुछ यादें अमिट होती हैं, जिन्हे दिल से भुलाना हमारे लिए बहुत मुश्किल होता है। बहुत कोशिश की मैंने भी कि भुला दूँ वो सारी बातें मुलाकातें, पर ये हो ना सका।
अनाम सा ही सही पर तुमसे दिल का रिश्ता जो जुड़ गया है।
मेरी जिंदगी के बेशकीमती लम्हों में शुमार है वो वक़्त, जो मैंने तुम्हारे साथ बिताया । भले ही बहुत कम वक़्त का साथ रहा हमारा, पर लगा न जाने कितनी पुरानी जान_पहचान है हमारी।
दिल तो यही चाह रहा था कि ये वक़्त यहीं रुक जाये और तुम कभी वापिस ही न जाओ पर ये नामुमकिन था।
जितना भी वक़्त हमारे पास था वो किसी खजाने से कम नहीं था, अनगिनत खुशियों भरे पल उसमें से बटोर लिये थे हमने।
तुम्हें याद तो होगा जाने से पहले तुमने एक काग़ज़ पर दुआ करने के बाद कुछ लिखा था, और फिर उसे एक ताबीज मैं डालकर लाल धागे में पिरोकर मेरे गले में डाल दिया था।
ये बोलकर कि ये हमेशा तुम्हारी हिफाज़त करेगा, और तुम्हें मेरी नज़दीकी का एहसास दिलाता रहेगा। मेरे पूछने पर कि ये सब जादू टोना, मेरा मतलब है कि मंत्र पढ़ना तुमने कब सीख लिया ?
तुम हँसकर बोले कि यही प्यार की ताकत है मेरी जान जो सब कुछ सिखा देती है।
मैं तुमसे कितना ही दूर क्यूँ न रहूँ पर मन से तुम मेरे बहुत नज़दीक होती हो मैं ख़ुद को कभी भी अकेला नहीं पाता... तुम्हारा प्यार दुआ बनकर मेरे साथ रहता है।
ये प्यार का ही जादू है, कुछ समझी की नहीं तुम ??
तुम्हारी बात सुनकर खामोश ही रही मैं मेरे लिए तुम्हारा साथ होना कितना कीमती था ये किस तरह से बताती मैं तुम्हें।
ये यकीन तो मैं अब तक ख़ुद को भी नहीं दिला पायी थी।
लोगों से सुनती आयी हूं कि परदेसियों का कोई ईमान नहीं होता ...तुम परदेसी हो और तुम्हारा ईमान भी है।
तुम मेरे साथ मेरे नज़दीक भी हो... तुमसे मिलना मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा ही था कि जो हम सोचें वो सच हो जाए और यही तो मेरे साथ हुआ ।
तुम्हारे जाने के बाद कितने दिनों तक तो मुझको ये सब एक सपना ही लगा तुम्हारे हाथों का प्यार भरा स्पर्श अपने हाथों में अब भी महसूस करती हूँ मैं।
देर तक आइने में खुद को निहारती रहती हूँ।
तुम्हारे साथ बिताए सुखद पलों के एहसास भर से ही मेरा चेहरा सुर्ख लाल हो जाता है..
सपनों से भी ज्यादा हंसी थी वो रात उस एक रात ने ही हमारी जिंदगी बदल दी थी।
मज़ाक मज़ाक में डेट पर जाने, पानी पूरी खाने और लस्सी पीने की बात तो हम अक्सर ही करते थे ।
पर कभी हम मिलेंगे भी ये तो मेरी कल्पना से परे ही था कि कोई इस तरह मेरी जिंदगी में आकर मुझे मुझसे ही चुरा लेगा ।
पर तुम जादूगर निकले तुमने वक़्त को भी अपने हिसाब से चलाया और अपनी कही हर बात सच कर दिखायी।
तुम्हारे जाने के बाद कुछ दिन तक तो मुझे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि मुझे हुआ क्या है, में ख़ुद में ही गुमसुम सी खोयी खोयी सी रहने लगी, तन्हाई मेरी दोस्त बन गयी में खुद से ही बात करती रहती।
तुम्हारे साथ बिताये हर पल को महसूस कर मुस्कुराने लगती और कभी तुम्हें याद कर रो पड़ती इससे पहले ऐसा कभी मेरे साथ नहीं हुआ था।
हां प्यार पहली बार मुझे तुमसे ही हुआ।
एक दिन में जैसे सब कुछ बदल सा गया था..ना कुछ ठीक से कुछ याद आ रहा था और ना ही भूल पा रही थी, मन में अजीब सी हलचल मुझे बैचेन किए थी।
कुछ भी जब समझ में नहीं आया तब तुम्हें कॉल किया. पर तुम्हारा फोन स्विचड ऑफ आ रहा था और तुमने जाने के बाद एक बार भी कॉल नहीं किया।
अब तो खुद पर ही बहुत गुस्सा आ रहा था कि तुमसे मिली ही क्यूँ..?
मेरे साथ जो कुछ भी हो रहा था तुमसे मिलने की वजह से ही हो रहा था न जाने कितने दिनों तक में खुद से ही नाराज रही।
एक महीने के बाद जब तुम्हारा कॉल आया तब गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर तुमसे बात करने पर गुस्सा किधर गया पता नहीं चला, बहुत दिनों बाद इतना खुलकर हँसी में।
घर के सब लोग भी हैरान थे और खुश भी
कि किसी से बात करने पर ही सही कम से कम खुश तो है।
प्यार करने के भी अदब होते हैं, ये तुमसे मिल के ही जाना कि प्यार भी कितने प्यार से किया जाता है.. जैसे इबादत।
सच.. तुमसे मिलकर जिंदगी बेहद खूबसूरत और खुशनुमा हो गई।
अपने मन के साथ में कभी जबर्दस्ती नहीं कर सकती तुमसे मिलने का फैसला भी मन का ही था यूँ भी किसी से मिलना जुलना मैं पसंद नहीं करती पर तुम्हारे से मिलने से खुद को नहीं रोक पायी।
ऐसा भी नहीं था कि तुम पहले लड़के थे जो मेरी जिंदगी में आये।
बहुत लड़कों से मैं मिली बहुत ने मुझे प्रपोज किया पर किसी की तरफ कभी मेरा मन नहीं गया तुम में पता नहीं ऐसी क्या बात थी ना चाहते हुए भी मेरा मन तुम्हारी तरफ झुकता ही चला गया कहते हैं कि कुछ फैसलें वो करता है क्यूँकि अगर सब हमारे हिसाब से होता तो बात कुछ और होती ..।
यूँ भी जिंदगी इन दिनों जिस तरह के हालातों से गुज़र रही है उसमें अच्छे अच्छे हिम्मत हार जाते हैं ,पर जो हमें जिंदगी को हर हाल में जीना सीखा दे, नकारात्मकता को सकारात्मक सोच में बदल दे वो बिरला ही होता है। तुमने हमें हर हाल में हालातों से लड़ना और खुद से प्यार करना सिखा दिया।
आज भी तुम्हारा मेसेज पढ़कर तुम्हारे साथ वक़्त बिताने का मेरा बहुत मन था पर घर से बाहर निकल पाना मुश्किल था कितनी ही उलझने जो रास्ता रोक रही थीं, और मन को मारना तो शुरू से ही सीख लिया था, पापा की तबीयत कुछ नरम गरम सी थी, माँ के गुजर जाने के बाद से वो अक्सर बीमार रहने लगे थे तो उन्हें छोड़कर दूसरे शहर आना संभव नहीं हो पाता।
और तुम्हारा भी मेरे शहर आना अब मुश्किल सा ही है।
काम के सिलसिले में घर से बाहर जाते ही तुम अपने कामों में इस कदर उलझ जाते हो कि एक कॉल या मेसेज करने के लिए भी तुम्हें फ़ुर्सत नहीं मिलती।
खैर छोड़ो ये सब हम दोनों के बीच कोई शर्त बंधन तो है नहीं तो शिकवा शिकायत किस बात का
प्यार तो मन और आत्माओं का मिलन है, आजाद है, बंधन नहीं।
तुम जहाँ भी रहो खुश रहो में हमेशा यही दुआ करती हूँ ।
बहुत कोशिश की पर चाहकर भी तुम्हें भुला नहीं पाई
"परदेसी से प्रीत लगाई दिल की बात रही दिल में ही समाई
विरह की आग में पल पल जलती
कितनी ही रातें अंखियों में कटती ।
दिन महीने कर बरस बीता
अबकी सावन न जाये रीता ।
परदेसी पिया तुम घर आ जाओ
मेरी जलती रातें बुझा जाओ ।"
कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते पर अनाम से ये रिश्ते नाम वाले रिश्तों से कहीं ज्यादा गहरे और मजबूत होते हैं जो गुज़रते वक़्त के साथ और गहराते जाते हैं ।