टोफ़ी रैपर
टोफ़ी रैपर
कॉलेज का एनुअल फ़ंक्शन चल रहा था यानी कहे तो कोलेज का आख़िरी दिन भी था ओर मैं दोस्त के शादी के सूट में,हाँ बदकिस्मत दोस्त ,उसकी शादी हो गई थी,कब से गेट की तरफ़ टकटकी लगाए किसी का वेट किए जा रहा था।मैं बाई नेचर ग़ज़ब मस्तीखोर था पर जब तक वो नही आई फ़ंक्शन में मस्ती करने का मन ही नही हो रहा था।तभी कोलेज के बड़े से गेट से काली साड़ी में परी सी लगने वाला मेरा इंतज़ार आया,मुझे साड़ी कभी पसंद नही थी पर आज उसे काली साड़ी में हेलोजन लाइट के उजाले में देख उसके साथ साड़ी से भी प्यार हो गया था,अब यहाँ एक ओर बात क्लीयर कर दूँ, आज फक्शन से खूब पहले से ही हम बहुत अच्छे दोस्त थे इसलिए पहली नज़र वाले प्यार का सोच खुद को कनफ़्यूज ना कर देना।
नीले सूट में अपनी परेशान करती ज़ुल्फ़ को सँवारती पहली बार दिखी ये परी आज ब्लेक साड़ी में किसी भी मुमबईया हीरोइन को जलाने के लिए काफ़ी थी।हम दोस्त तो पहली मुलाक़ात के कुछ टाईम बाद ही हो गए पर अभी गर्लफ़्रेंड वाले रिश्ते के लिए अच्छा दोस्त बनने की बाधा भी दूर करनी थी, ये बाधा दूर हुई या नही पर हाँ अब रिश्ते में हल्का प्यार वाला टच ज़रूर आ रहा था।अब मुलाक़ातें बढ़ रही थी,एक टाईम आया जब कोफ़ी,डोसा ओर पानीपूरी का दौर भी चला। जब भी मुझ से मिलती मेरे लिए मेरी फ़ेवरेट टोफ़्फ़ी ज़रूर लाती,हाँ सही सुना टोफ़्फ़ी,तब मेरी ज़िंदगी का वो दौर था,जब बस मैं बेडकम्पनी में बस आया ही था सो मै बेड नही था।मैं दो रुपय की चार टोफ़्फ़ी ही लेता था ओर वो मेरे लिए उसका पाँच रुपय का बड़ा पैक़ लेकर आती।मैं वो बड़ा पैक़ ले अंदर ही अंदर छोटें बच्चों की तरह झूम उठता पर मझाल उसे कभी महसूस करा दूँ । टोफ़ी ओर कोफ़ी के बीच फलता ये रिश्ता कनफ़्यूज ही रहा ओर फिर वो दिन भी आया फक्शन वाला जब वो काली साड़ी में आई, मेरे दोस्त उसके कोमप्लिमेंट मुझे दे रहे थे पर मझाल मुझे उसके अलावा कोई कह दे “सूट में जँच रहा है” ओर उसने मुझे कह दिया अब मुझे किसी से सुनना भी कहा।पूरे फक्शन में मेरे साथ थी,हमने फ़ंक्शन में मस्ती भी खूब की फक्शन ख़त्म होते ही उस टाईम का मेरा सबसे बड़ा दुश्मन उसका भाई लेने आया,वो चली गई उस दिन उसके बिना बड़ा सुना लग रहा था,तभी पीछे से बेडकम्पनी की आवाज़ आई, आजा व्यवस्था हो गई।
मै चला गया,पर आज सोच रहा हूँ काश उस टाईम भी fb ओर वाटसअप होता, तो लाइक,कमेंट ओर चैट का दौर भी चलता पर fb आया तब तक उसकी शादी हो गई ओर वाटसअप से मेरी पहचान हुई तब तक मेरी भी हो गई।
आज दिवाली की सफ़ाई सफ़ाई करते समय हाथ लगी उस दौर की एलबम देखते,ये यादें मन में चल ही रही थी तो एलबम के अगले पन्ने में रखे बहुत से मेरी फेवरेट टोफ़ी के पाँच रुपय वाले पैक़ के रैपर को देख आँखे भर भरा सी गई .....