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Rashmi Nair

Abstract

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Rashmi Nair

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तोहफा

तोहफा

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जब से प्रीती को उसकी सहेली अमीना अपनी बेटी की शादीका कार्ड दे गई उसके दिल–ओ-दिमागमें एक ही सवाल चल रहा था कि शादीके तोहफेमें क्या दे? पर वो ये नहीं जानती थी कि आजकलके जमानेमें इतना समय किसीके भी पास नहीं है कि तोहफेके बारेमें सोचे । तोहफेका महत्व देने और लेनेतक ही सीमीत होता है। पर बादमें वो ऐसे ही कोनेमें पडे रहते हैं।

उसे ऐसे लग रहा था कि उसकी सहेलीकी इकलौती बेटीको कुछ ऐसा तोहफा दिया जाय जो हमेशा याद रखा जाय।

इस भोली धारणाको मनमें रखकर शामको पति अमीत के घर आनेके बाद चाय नाश्तके बाद उसने बात छेडी। दोनों बैठकर आपसमें चर्चा कर रहे थे। पहले तो उसके अमीतने बात उसी पर छोड दी। उसने कहा " भई मैं इसमें क्या कह सकता हुँ जो तुम्हें पसंद हो, दे देना। तब उसने कहा कि"मैं उसे ऐसा तोहफा देना चाहती हुँ जो उसे हमेशाके लिये याद रहे " सुनकर अमीत ने कहा -"बात तो बहुत सही है।

उसने अमीतसे रोजमर्रा काम आनेवाली चीजोंकी फेरिस्त रखी पर उसके पतिको उसमेंसे कई चीजें बहुत साधारणसी लगी। तब उसने समझाया कि "ये वो तोहफे हैं जो उसे कोईभी नजदीककी रिश्तेदार दे सकता हैं जैसे,कपडे, बर्तन,गहने "।

प्रीतीनेकहा "मैं उसे गहने तो नहीं दे सकती पर हां बर्तन देना चाहुँगी। अगर बर्तन दुँगी तो वो रोज इस्तमाल होंगे वो रोज हमें याद करेंगे क्योंकि उसपर हमारा नाम होगा "

"तो तुम्हारी मर्जी मैं मना तो नहीं करुँगा पर मान लो तुम जो उसे दोगी उसका गलत इस्माल किया गया तो ? पतिने कहा।

वो चौंक पडी और पूछने लगी "बर्तन का गलत इस्तमालभी कभी होता है भला !"प्रीती बोली

"क्युँ नहीं हो सकता ? "होता है न, " अमीतने कहा

"वो कैसे ? प्रीतीने पुछा।

तुम्हें पता है छ महिने पहले हमारे दफ्तरके एक लडकीकी शादी हुई थी। उसको सबने हम मिलकर कुछ बर्तन तोहफेमें दिये थे तब हमें पता नहीं था कि हमारे दिये गये बर्तनोंका ऐसा भी इस्तमाल हो सकता है। उस लडकीका पति शराबी निकला उसने सारे बर्तन बेच दिये और अपनी शराबका जुगाड किया। सीर्फ टीफन बॉक्स ही बचा वो भी इसलिये क्योंकि वो रोज खाना लेकर आती है। एक दिन सुबह जब वो आई तो उसके माथेपर पट्टी बंधी थी बादमें पता चला कि शराब के नशे में उसके पति के हात टीफन बॉक्सका ढक्कन ही लगा और उससे इतनी जोरसे मारा की धारदार होनेके कारण उसके माथे पर चोट लगी। "

"अरे बाप ! रे ! " प्रीतीके मुँहसे अनायास ही निकल गया "। फिर क्या हुआ ?

अमीतने कहा - " फिर क्या होना था ? उसे दफ्तर बुलाकर हम सबने समझाना चाहा तो वो लडकी रोने लगी और उसने मना कर दिया " क्योंकि वो जानती थी सच बोलनेकी सजासे से कोई नहीं बचा सकता था "

"ना बाबा ना तौबा तौबा ! मैं नहीं चाहती हूँ हमारे दिये गये तोहफे का इस्तेमाल इस तरह हो और न हीं मैं ऐसा देना चाहुँगी।" तो फिर हम तोहफा नहीं देंगे?

अमीतने कहा - "देंगे ना क्युँ नहीं देगे ,जरुर देंगे जो दुल्हनेके कभी भी काम आये। ऐसा तोहफा हम उसे देंगे "

"हैं कुछ आपकी नजरमें जो हम उसे दे सके।" प्रीतीने पुछा।

अमीतने मुस्कुराते हुए कहा "हां, हम उसे एक गिफ्ट चैक देंगे जिसे वो छ महिने के अंदर कभीभी उसके बँकमें जमा करके जब चाहे तब पैसा निकाल कर ले सकती है और अपनी मनपसंद चीज खरीद सकती है।इससे उसे उसका पैसा सीर्फ उसीको मिलेगा और तबतक वे सुरक्षित भी रहेगा, जबतक वो खुद खर्च करना चाहे।" अमीतने समझाया

"वाह ! यह तो बहुत अच्छी बात है। ये तोहफा देनेके यह नया तरीका भी लाजवाब है। "खुश होते हुए प्रीती बोली।

"तो बताओ कितने रुपयेका गीफ्ट चेक बनवाऊँ, बोलो तो कल आते समय ले आऊँ।"अमीतने पूछा

जैसा आप ठीक समझो. पर कमसे कम हजार रुपये हो तो अच्छा रहेगा " प्रीतीने कहा।

"ओके मॅम , डन "ये बात सुनकर वो मुस्सुराई।

शामको लौटते जब पहली बार उसने रंगबिरंगा गीफ्टचेक देखा तो खुशीसे झूम उठी। दूसरे दिन दोनों पति-पत्नी ने शादी के हॉल में रॉयल एंट्री की। 


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