तन्हा
तन्हा


आजकल सब तन्हा महसूस कर रहे हैं.. सामाजिक स्तर पर, क्योंकि हमेशा भीड में जो रहते आए थे, वैसे महसूस तो भीड में भी अकेला ही होता होगा.. .. जब रोना आता था तो किसी के कंधे पर सर ना रखकर, ठहाका लगाते थे, एक दूसरे को ताली देकर, भ्रम पाले थे पास होने के केवल, इमोशनल डिस्टैंशिग तो सालो से चली आ रही है...!
अभी, सोशल डिस्टैसिंग की बात हुई थी... इमोशनल नही, लेकिन सूचना सही डिकोड नही हुई क्योंकि इमोशनली एटैच था ही कौन.... खुद के ही पास नही मिला कोई.. सब भौतिकता के तिलिस्म में फंसे मिले..!