Padma Agrawal

Abstract

4  

Padma Agrawal

Abstract

तन मन रंग से सराबोर हो गये

तन मन रंग से सराबोर हो गये

6 mins
194


"आज बिरज में होरी रे रसिया ‘ गले में ढोलक लटकाये हुये गुलाटी जी गुलाल उड़ाते हुये होली के खुमार में पूरी तरह डूबे हुये रमन को आवाज दे रहे थे । वह तो पहले से ही प्लेट में गुलाल और गुझिया सजा कर तैयार बैठे थे । बस शुरू हो गया ‘रंग बरसे भीगे चुनरवाली ….’ कालोनी में होली पर नाच गाना और मस्ती जम कर होती है ....

आज होली और रंगोत्सव के अवसर पर मधुरिमा जी किचेन में कचौड़ी दमालू , दही बड़े आदि बनाने में बिजी थीं लेकिन उनका ध्यान बार बार सामने की बालकनी से आती आवाजों पर चला जाता था । थोड़ी देर पहले ही उनकी बेटी भव्या को उसकी सहेली नीति बुला कर ले गई थी । वह चाहते हुये भी मना नहीं कर पाईं थीं ... नीति की मौसी का बेटा श्रेयस आया हुआ है और अब रंग गुलाल के साथ दोनों की छेड़छाड़ और हंसी , दोनों की खिलखिलाहट की आवाजें उनके कानों में बार बार गूंज ऱहीं थीं ।

भव्या और नीति दिल्ली के एक ही कॉलेज में एम बी ए कर रहीं थीं , दोनों बचपन से साथ साथ पढी हैं और आपस में पटती भी बहुत है । श्रेयस हमेशा से गर्मी की छुट्टियों में आता रहा है और सब साथ में कैरम , लूडो ,कार्ड्स , बैडमिंटन और यहां तक कि क्रिकेट भी खेल कर बड़े हुये हैं । इस बार वह कई सालों के बाद आया है और अब सब किशोर हो चुके हैं । वह कई दिनों से देख रहीं थी कि भव्या श्रेयस के साथ घंटों तक बैठ कर हंसी मजाक और बात करते हुये हंसते खिलखिलाती और ठहाके लगाती रहती हैं ।

‘चल न आइसक्रीम खाने चलते हैं ‘

‘आज मेरा खाना मत बनाना मम्मा हम लोग डोसा खाने जा रहे हैं ‘.... कहती हुई वह फुर्र से उड़ जाती ...कभी नीति साथ में होती तो कभी ये दोनों अकेले ही सिविललाइन तक घूमने निकल जाते ....

आज तो होली का त्यौहार है.... क्या भव्या श्रेयस से प्यार करने लगी है ...वैसे तो श्रेयस बहुत जाना समझा अच्छा लड़का है.... परिवार भी अच्छा है लेकिन इसकी मां तो बहुत नकचढी है .... वह मन ही मन सोच रही थी ...मेरी भव्या भी तो लाखों में एक है ....वह मन ही मन में सोच रही थीं ....श्रेयस 6 फुट का लंबा गोरा चिट्टा सजीला आईटियन इंजीनियर लड़के का ख्वाब तो हर लड़की की मां अपनी बेटी के लिये देखती है .... तभी उनके कानों में भव्या के जोर जोर से हंसने की आवाज आई थी साथ में श्रेयस की भी ... भव्या की बच्ची , अब मैं तुझे छोड़ूंगा नहीं .... अभी मजा चखाता हूं ...

 उनका दिल धक से हो गया था .... कहीं इतिहास अपने को तो नहीं दोहरा रहा है ... उनकी आंखों के समक्ष उनका अपना अतीत चलचित्र की भांति सजीव हो उठा .... ऐसा ही होली का अवसर था ... जब उनकी मुलाकात नीरव से हुई थी ... नीरव उसकी सहेली रिया की बुआ का बेटा था और ऐसा ही गठीला, सजीला सांवला सा ... साथ में हंसमुख , बात बात पर फुलझड़ी सी छोड़ने वाला ...बस वह पहली नजर में ही वह उसे अपना दिल दे बैठीं थीं और प्यार एक तरफा भी नहीं था ... वह भी उन्हें उतना ही पसंद करता था ....बस शुरू हो गया था दो प्यार के परवानों की प्यार की चाशनी में डूबी लंबी लंबी बातें और मुलाकातें ....भला हो मोबाइल का ... वह एम . ए फाइनल में थी और नीरव तो बैंक में प्रोवेशनरी ऑफिसर .... सब कुछ वेल सेटिल्ड .... कहीं कुछ भी गलत नहीं था ....

प्यार भरी नजरें भला कभी छिप पाती हैं ... नीरव उनसे मिलने जल्दी जल्दी आने लगे तो रिया की मां को शक हुआ कि इन दोनों के बीच में कोई चक्कर तो नहीं चल रहा है ....

हां यही सच है .... सोचते ही उनके चेहरे पर मुस्कान छा गई थी .... वह दोनों अपने भविष्य के सपनों की उड़ान भर रहे थे ....जमीनी हकीकत की कंकरीली राहों का न ही गुमान था और न ही अनुमान ...वह सपनों में खोई खुशियों के झूले में झूल रही थी .....पापा मम्मी रिश्ते की बात करने के लिये नीरव के घर पहुंचे तो पवित्रा बुआ तो रिश्ते की बात सुनते ही बिफर पड़ीं थीं .....हम तो पहले जन्मकुंडली मिलवायेंगें ....आपकी मधुरिमा तो सांवली है मेरा बेटा दूध सा गोरा ...भला जोड़ी कैसै बनेगी .....समझदार के लिये इशारा काफी था ...

मम्मी पापा उल्टे पैर लौट आये लेकिन खुश थे कि उनकी बेटी ऎसे लोगों के चंगुल से बच गई लेकिन उनकी तो दुनिया बसने से पहले ही उजड़ गई थी । नीरव के बिना सारी दुनिया वीरान दिख रही थी ... उनका जीनाही बेकार था आदि आदि निराशा के गर्त में डूब कर अपनी इहलीला समाप्त करने का उपाय खोजती रहती ... यहां तक कि एक दिन उन्होंने एक दिन अपनी कलाई की नस काट ली थी ... तभी एक दिन नीरव का फोन आया कि मधुरिमा हम लोग कोर्ट में शादी कर लेते हैं .... हम तुम मुम्बई में रहेंगें ... मम्मी पापा से वह रिश्ता तोड़ लेगा ।

वह अपनी मां के गले से लग कर फूट फूट कर रो पड़ी थी ... उन्होंने नीरव की सारी बात बता दी ....तुम क्या चाहती हो ... एक बारगी मां बोली ... आपके आशीर्वाद के बिना मैं अपने जीवन में आगे नहीं बढूंगीं ....

फिर भूल जा नीरव को ... तेरे पापा तुम्हारे लिये योग्य और अच्छा लड़का तलाशेंगें ... जहां तुम खुश रहोगी ... और उसी दिन नीरव को हमेशा के लिये भूल जाने का निश्चय कर लिया था । नीरव उनसे मिलने भी आया तो उन्होंने उसे पहचानने से भी इंकार कर दिया था ।ऐसी ही होली की एक शाम को रमन के साथ उनका रोका हो गया था और फिर उन्होंने उनकी जिंदगी में रंग भर दिये थे ।

 उनकी तंद्रा भंग हुई थी .... बेटी भव्या रंगों से सराबोर थी और गालों पर गुलाल लगा हुआ था .. आनंद के अतिरेक से उसके मुखड़े पर खुशियों की मुस्कान छाई हुई थी , वह चहक रही थी .... मम्मा श्रेयस जरा भी नहीं बदला ...वैसा ही मस्त मौला ....बात बात पर कहकहे लगाना .... आज बहुत मजा आया .... श्रेयस ऐसा ... श्रेयस वैसा ... सुनते सनते वह कांप उठी थीं ....क्या उनका शक सही है ... भव्या के मन में भी श्रेयस के प्यार का अंकुर प्रस्फुटित हो उठा है ....

 श्रेयस की मां के मन में तो अपने पैसे का बड़ा घमंड है ...मेरी भव्या तो उनके बरगद जैसे व्यक्तित्व के नीचे दब कुचल कर कभी भी खुल कर सांस लेने को भी तरस कर रह जायेगी ....

“जाओ जल्दी नहा कर कपड़े बदलो , नहीं तो बीमार हो जाओगी “

जब शाम को वह अपना लैपटॉप खोल कर बैठी तो उन्होंने उसे टटोलने के लिये पूछा , “श्रेयस तुझे अच्छा लगता है क्या ....”

“मम्मा कैसी बात करती हो ... वह मिला ....मस्ती हुई ... हंसी मजाक ...बस बाय....”वह दो साल के लिये अमेरिका जा रहा है ... आज रात की ही तो उसकी फ्लाइट है “

“टैक्सी आ गई है , वह जा रहा है ... तुम उससे बाय भी नहीं करोगी ...”

“नो मम्मा ...मुझे अपना जरूरी एसाइनमेंट पूरा करना है .... उसने लापरवाही से कहा था ....

उसका जवाब सुनते ही मधुरिमा के मन से शक के कुहासे छंट गये थे और अब उनका तन मन होली के इंद्रधनुषी रंगों से सराबोर हो गया ....उन्होंने अपनी खुशी जाहिर करने के लिये हाथों में गुलाल लेकर भव्या के गालों पर मल दिया और उसे प्यार से गले लगा लिया था ।




Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract