तिलक
तिलक
मास्टर जी ने स्कूल में नियम बना डाला था कि जो बडी कक्षा के छात्र है वो छोटी कक्षा के छात्रों का तिलक लगाकर स्वागत करेंगे
तिलक लगाने के फायदे बता दिए व साथ ही बच्चे आपस में एक दूसरे से घुले मिले
गांव के कुछ संपन्न परिवार को छोड़कर सभी बच्चे एक सामान्य परिवार से थे और शहर से आए मास्टर जी जानते थे कि पहले मुझे जमीनी स्तर पर सुधार करना है
स्कूल के पहले दिन कई नए छात्रों का प्रवेश हुआ जिसमें गायत्री का बेटा वीर भी था जो सुरभि के यहाँ गायत्री के साथ अक्सर सुरभि के घर काम करता था सुरभि ने सोचा कि क्या मैं इसका भी तिलक करूं
बचपन से ही बच्चों को आसपास में ऊंची नीच जात पात की शिक्षा बिन कहे ही मिल जाती है इसके चलते ही सुरभि ने उसका तिलक ना करना चाह
जैसे ही मास्टर जी ने देखा तो उसे जाकर कहा शिक्षा का अर्थ ही समानता, प्यार, सहयोग, सम्मान करना है ।
शिक्षा के मंदिर में ऐसा कभी नहीं सोचना सुरभि को अपनी गलती का एहसास हुआ और दिल से सभी बच्चों का तिलक लगाकर स्वागत किया।
ऐसा कई सालों तक चला जिसके कारण स्कूल के सभी बच्चे बड़ा अपना तथा साथी मास्टर जी ने सभी को खाना साथ में खाने की हिदायत दी थी यह छोटी-छोटी चीजें कर मास्टर जी ने उस गांव को ही नहीं बच्चो को हर बच्चे को हर क्षेत्र में आगे कर दिया क्योंकि सफलता की पहली कुंजी व्यवहार अपनत्व है।
आज शहर के एक कार्यक्रम में अपने पढ़ाई हुए छात्र को देखकर खुश हो गए मंच में बैठा छात्र उनकी सिखाई बातों को ही कह रहा था
कार्यक्रम के समाप्त होते ही वह मिलने आया उनकी सिखाई बातों को बड़े नटखट अंदाज में कहने लगा सुनकर मास्टर जी गदगद हो गए कहते हैं कि इंजीनियर एक बिल्डिंग खड़ी करता है डॉक्टर एक इंसान को बनाता है मगर इन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण शिक्षा है जो समाज को मजबूत करती है और व्यक्ति को संस्कारी बनाती है।
