तीये की बैठक
तीये की बैठक
आज उनका तीसरा था परिवार जनों ने जैसा राजस्थान में रिवाज है तीसरे की बैठक रखी अख़बारों में इश्तिहार दिया गया श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिसके लिए बड़ा सभा भवन किया गया आगंतुकों के लिए जाजम बिछायी गयी कुर्सियां लगाई गईं एक उच्च स्थान पर एक कुर्सी रख कर सफ़ेद चमकती हुई चादर बिछा कर उनकी तस्वीर रख दी गयी ओर तस्वीर पर ताज़ा गुलाब के फूलों की माला सजा दी गयी साथ ही पूरा का पूरा खुशबू वाला अगरबत्ती का गुच्छा जला दिया गया
एक पंडित जी को गीता पाठ करने के लिए भी आमंत्रित किया गया लोगों को कर्म ओर धर्म का ज्ञान दिया जा सके
एक घंटे का समय निर्धारित था शुरू शुरू में घर परिवार के लोग उपस्थित हुए तब पंडित जी ने अपना गीता का ज्ञान देना प्रारम्भ किया धीरे धीरे लोग आते गए ओर सभा भवन भर गया वातावरण एक दम शांत था केवल पंडित जी के शब्द ही गूंज रहे थे।
आखिर बैठक के अंतिम दस मिनट में तुलसी दल का वितरण किया गया पंडित जी ने श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी की धुन लोगों से गवाई ओर दो मिनट का आँखें बंद करके मृतक की आत्मा की शांति के लिए सभी से मौन धारण करने के लिए कहा जैसे ही मौन टूटा लोगों को पंडित जी ने बारी बारी से सभी को पुष्पांजलि श्रद्धांजलि स्वरूप तस्वीर पर अर्पित करने के लिए कहा पहले परिवार के लोगों ने फिर रिश्तेदारों एवं अन्य परिचितों ने पुष्पांजलि श्रद्धांजलि अर्पित की
बैठक समाप्त हो चुकी थी सभी अपने अपने समूह में मृतक के सम्बन्ध में बातें कर रहे थे कुछ जल्दी में थे जा चुके थे अन्य के मध्य यही बातें थी की मृतक कैसे इंसान थे कैसे उनके कर्म धर्म थे कैसा उनका चरित्र था कैसा उनका व्यापार कैसा उनका आचार विचार परिवार था क्या किया क्या नहीं किया यह भी चर्चा का विषय था की उनके परिवार वालों ने जीते जी उनका कितना ख्याल रखा कितना नहीं रखा उन्हें कितना सम्मान दिया कितना नहीं आगे किसकी कितनी जायदाद में हिस्सेदारी होगी कहीं झगड़े बाजी की नौबत आएगी या नहीं आमतौर पर यही सब कुछ होता है इंसान के जीते जी कुछ ओर मरने पर कुछ ओर दुनिया समाज का दिखावा सभी करते ही हैं रिवाजों को निभाने की भी एक प्रथा है इसलिए तीये की बैठक भी करते हैं अपना रसूक अपना प्रभुत्व दिखाने के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठा करते हैं यही सब जताने के लिए. यही तीये की बैठक का महातम होता सबको बताने के लिए।
