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Dr.Deepak Shrivastava

Tragedy

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Dr.Deepak Shrivastava

Tragedy

विवाह विच्छेद

विवाह विच्छेद

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मेजर संदीप ओर निशा की जोड़ी सोसाइटी में सबसे हैंडसम स्मार्ट जोड़ी थी।

दो प्यारे प्यारे बच्चे उनकी प्यार की इन्तहा की कहानी कहते थे। साथ में उनकी माँ भी रहती थीं जो पेशे से चिकित्सक होने के कारण हमसे अच्छी पहचान हो गई थी 

मेजर जब भी मिलते बड़े मधुर लहजे में बात करते थे सभी उनकी प्रशंसा करते हुए नहीं थकते थे।

प्रथम बार उनसे परिचय हुआ जब वो दोनों उनके फ्लैट में इंटीरियर करवाने के लिए मेरे फ्लैट का इंटीरियर का काम देखने के लिए आये थे।  अच्छा लगा दोनों से मिलकर ख़ुशी हुई। उनसे आये दिन मिलना होता रहता था कभी घूमते हुए, कभी लिफ्ट में कभी जिम में।


    एक दिन उनकी माँ सुबह सुबह हैरान परेशान सी हमारे पास आयीं। उनको देखकर हम समझें कोई काम होगा हमने उन्हें आराम से बैठाया ओर पानी चाय पीने का आग्रह किया लेकिन उन्होंने हमारी आग्रह को तवज्जोह ना देते हुए अपने साथ उनके घर चलने के लिए कहने लगीं। हमने उनसे पूछा की आप बतायें क्या परेशानी हे हम देखते हैं क्या कर सकते हैं।

उन्होंने जो कहा हमें उस पर बिलकुल भी विश्वास नहीं हुआ सुनकर हम अचंभित हुए बिना नहीं रह सके

उन्होंने हमें बताया की मेजर संदीप पिछले तीन दिन से अपने कमरे में बंद होकर शराब पिए जा रहे हैं उसे समझाने ओर उसकी इस आदत से छुटकारा दिलवाने का अनुरोध करने लगीं।

यह सुनकर ही हमको एक बार तो विश्वास नहीं हुआ लेकिन माँ जब खुद अपने बेटे के बारे में कहे तो कोई कैसे विश्वास ना करे एक बार तो हमने सोचा मिलिट्री वाले हैं शराब पीना कोई विशेष बात नहीं हे लेकिन जब 

 हमने उनसे इसका कारण पूछा तो उन्होंने उसकी पत्नी के व्यवहार के बारे में हमें बताया। उनके बीच होने वाली आये दिन की बहस झगड़े के बारे में बताया। हमें बहुत आश्चर्य हुआ, इतना प्यार करने वाले जताने वाले, एक दूजे का ध्यान रखने वाले प्रेमी पति पत्नी कैसे झगड़ सकते हैं  

हमने उस समय तो उन्हें सांत्वना देते हुए हम कुछ करते हैं कहकर भेज दिया फिर सोचा क्यों दूसरे के फटे में टांग अड़ाई जाये कल को हम उसे समझाने का प्रयास करें और वो नशे में हमारी बेइज्जती कर दे यही सोच कर हम चुप रह गए नहीं गए।

शाम को हम तैयार होकर घूमने के लिए निकले तो देखा की संदीप की गाड़ी खड़ी हुई हे और वो उसमें से शराब का केरट उतार रहा है उसकी हालात देख कर हम को बिलकुल भी ताज्जुब नहीं हुआ ऐसा लग रहा था के कई दिनों से नहाया नहीं है गन्दा शर्ट, गन्दा पेंट, बिखरे हुए बाल, पेंट की जिप खुली हुई नशे में धुत। उससे चलते भी नहीं बन रहा था। हम कुछ सोच कर रुक गए।

जब वो हमारे सामने आया तो हमने कहा संदीप जी आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी। आपको इस हाल में देखकर हमें बहुत दुःख हो रहा है और दया भी आ रही हे आप इतने अच्छे इंसान की ऐसी हालात।

संदीप ने एक बार हमें नजरे उठा कर देखा और कहा की आप अपने काम से काम रखिए आप को क्या करना हे। एक बार तो हमें बुरा लगा लेकिन नशे के हाल में और उनसे उम्मीद भी क्या की जा सकती थी।

हमने समझाने की कोशिश की लेकिन उस हाल में कुछ ज्यादा कहा सुनी करना हमें उचित नहीं लगा। हम उसे लड़खड़ाते गिरने कि स्थिति से संभलते जाते हुए देखते रहे।


इसी बीच हमारा बेटा कुछ दिनों के लिए अपनी पत्नी ओर बच्चे के साथ आया था और हमें भी अपने साथ दिल्ली ले गया


जब एक महीने बाद लौटकर आये तो समाचार मिले कि संदीप का तलाक हो गया

दोनों अलग अलग रह रहे हैं संदीप के फ्लैट के बाहर नाम पट्ट पे जो पूर्व में संदीप और निशा लिखा था उसकी जगह केवल मेजर संदीप ही लिखा हुआ था। हमें सुनकर देखकर बहुत दुःख हुआ एक हँसता खेलता परिवार बिखर गया, क्यों नहीं दोनों समझदार हो कर भी अपने प्यार को परिवार को नहीं संभाल सके, किसी ने क्यों नहीं उनकी मदद की क्यों नहीं उन्हें समझाया क्यों नहीं पारिवारिक न्यायालय के परामर्श दाता, सलाहकार, so called councellor ने तलाक ना लेने का रास्ता दिखाया


आज दोनों अपनी नादानी, नासमझी के कारण अलग अलग रह रहे हैं निशा ने भी अपना फ्लैट इसी सोसाइटी में पहले से ही ले रखा था जिसकी वो किस्तें भी भर रही थी बच्चों के साथ रह रही हे, क्या इंसान इसी के लिए विवाह करता हे सात फेरे अग्नि के लेकर विवाह बंधन में बंधता हे प्यार में कई कसमें वादे करता हे क्यों नहीं उस विवाह वेदी के फेरों की कसमों को निभा पाता क्यों प्यार में खाई हुई कसमों वादों को इतना जल्दी भूल जाता हे

ईश्वर उन्हें सद्बुद्धि दे ओर वो फिर से अपना घर संसार बसाएँ और साथ साथ रहे



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