थैंक यू अंकल एंड आंटी
थैंक यू अंकल एंड आंटी
एक प्रौढ़ युगल जो कि अपने जीवन के लगभग ६० वसंत देख चुका था ,ट्रैन में सफर कर रहा था। ट्रैन एक स्टेशन पर रुकी ,तब ही महिला ने चाय पीने की इच्छा जाहिर की। पुरुष ने इधर -उधर नज़र दौड़ाई ,लेकिन स्टेशन पर कोई चाय की थड़ी या दूकान नज़र नहीं आयी। महिला पुरुष के बिना कहे ,उनकी परेशानी समझ गयी थी।
"चलो ऐसा करो ,सामने से पेप्सी ले आओ। ",महिला ने मुस्कुराते हुए कहा।
"आज तुम भी पेप्सी पियोगी ?",पुरुष ने आश्चर्य जताते हुए कहा।
"क्यों नहीं ?अब मेरी पसंद की चाय नहीं मिल रही ,तुम्हारी पसंद की कॉफ़ी तो हम आज पेप्सी ही पी लेते हैं। ",महिला ने कहा।
पुरुष जब पेप्सी की बोतल ले रहे थे तो पास ही किताबों की एक दुकान दिख गयी। पुरुष ने अपने लिए समाचार पत्र और महिला के लिए कुछ उपन्यास और कहानियों की किताबें देखने लगा। पुरुष ने महिला के लिए ममता कालिया का उपन्यास दौड़ लिया। पुरुष ट्रैन की तरफ आने लगा ;उतने में ही ट्रैन ने रवाना होने का सिग्नल दे दिया था। महिला ट्रैन के दरवाज़े तक आ गयी ;महिला की आँखों में उनकी परेशानी देखी जा सकती थी। परेशानी के साथ ही एक विश्वास भी था कि पुरुष ट्रैन तक आ ही जाएँगे। यह उनकी पुरानी आदत जो है महिला को चौंका देने की।
महिला और पुरुष दोनों अपनी सीट पर आकर बैठ गए थे। पुरुष ने महिला के हाथ में उपन्यास दिया।
"वाह ,मैं ममता कालिया का यही उपन्यास नहीं पढ़ पायी थी। आपको पता था। ",महिला ने उपन्यास देखकर चहकते हुए कहा।
"हाँ जी ;अब चाहे हम खुद उपन्यास पढ़ें न पढ़ें ,लेकिन आपकी पसंद जानते हैं। ",पुरुष ने शायराना होते हुए कहा।
दोनों ने साथ -साथ ज़िन्दगी का एक लम्बा समय केवल इस बात पर चलते हुए गुजारा था कि ,"जीवन में एक -दूसरे की इच्छाओं का मान रखने से प्यार ,इज़्ज़त और विश्वास बढ़ता है। "
महिला अपना उपन्यास पढ़ने लगी और पुरुष अपना अखबार। तब ही उनके सामने बैठी लड़की का फ़ोन बजा। यह लड़की अभी पिछले स्टेशन से ही ट्रैन में बैठी थी। लड़की की उम्र यहीं कोई २५ -२६ वर्ष थी। लड़की ने कुर्ती और लेग्गिंग पहन रखी थी। माथे पर छोटी सी बिंदी लगा रखी थी और कानों में झुमके। लड़की बड़ी ही सभ्य और पढ़ी -लिखी दिख रही थी।
"मम्मी ,कहा न कि मुझे अभी शादी नहीं करनी। ",लड़की शायद अपनी माँ से बात कर रही थी।
"जब शादी करनी ही नहीं तो लड़के से क्यों मिलना ?",माँ शायद किसी लड़के से मिलने के लिए बुला रही थी।
"आपकी इन्हीं बातों के कारण मैं घर नहीं आती हूँ। फिर आप कहते हो कि तुझे तो हमारी याद भी नहीं आती। ",लड़की नाराज़गी जताते हुए बोली।
"क्या मम्मी आजकर की जनरेशन को कोसती रहती हो। आपकी जैसी ज़िन्दगी नहीं चाहिए मुझे। घर और बच्चे ;इसके अलावा कोई ज़िन्दगी जैसे है ही नहीं। शादी एक ऐसा बंधन है जो लड़की को पिंजरे में बंद कर देता है। ",लड़की की अपनी मम्मी से बहस जारी थी।
"अब वही इमोशनल मेलोड्रामा ,मम्मी मैं इसे हैंडल नहीं कर सकती। ",लड़की ने ऐसा कहकर फ़ोन रख दिया था।
अपनी मम्मी से बहस करके लड़की शायद खुद भी बहुत दुःखी थी। वह खिड़की से बाहर शून्य में निहारने लगी।
महिला की नज़रें भले ही उपन्यास पर थी ,लेकिन उसके कान लड़की की बातें सुन पा रहे थे। लड़की की उहापोह और उद्विग्नता के कारण महिला उसे बीच -बीच में कनखियों से निहार भी रही थी।
लड़की ने जैसे ही बात ख़त्म की ,महिला ने भी अपना उपन्यास बंद कर दिया था। महिला लड़की की तरफ देखने लगी ;लड़की ने जब खिड़की से नज़रें हटाई तो उसकी नज़रें महिला की नज़रों से टकराई।
"इन आंटी ने भी मेरी बातें सुन ली होंगी। सोच रही होंगी कि कैसी बेटी है ?अपनी माँ से भला कौन ऐसे बात ?", लड़की ने मन ही मन में सोचा और अपने नज़रें झुका ली।
"क्या हुआ ?कुछ परेशान हो ?",आखिर महिला ने पूछ ही लिया। अब तक पुरुष ने भी अपना अखबार बंद करके एक तरफ रख दिया था।
"आंटी ,आपकी पीढ़ी शादी को इतना महत्व क्यों देती है ?मानो शादी ही पूरी ज़िन्दगी है। शादी नहीं तो ज़िन्दगी नहीं। ",लड़की ने अपने दिल की भड़ास निकाल दी थी।
"और तुम्हारी कुछ बुरे अनुभवों के आधार पर बिना किसी कारण के शादी से भागती क्यों है ?",महिला ने मुस्कुराते हुए कहा।
"आंटी ,शादी के बाद लड़की की ज़िन्दगी तो ख़त्म ही हो जाती है। उसकी पूरी ज़िन्दगी पति और बच्चों के ईर्द -गिर्द ही घूमकर खत्म हो जाती है। ",लड़की ने कहा।
"नहीं बेटा ,अगर संबंध डोर और पतंग जैसा हो तो दोनों ही लोग एक शादी में निरंतर आसमान की ऊँचाइयों को छूते हैं। मैं और तुम्हारे अंकल इसका उदाहरण है। ",आंटी ने प्यार से कहा।
"अच्छा आंटी। लेकिन आंटी किसी एक व्यक्ति के साथ इतने लम्बे समय तक कैसे रह सकते हैं। ",लड़की ने अपनी बड़ी -बड़ी आँखों को और बड़ा करते हुए कहा।
"तुम्हें पता है ;मैं और अंकल एक -दूसरे पिछले 45 सालों से हैं। ४० साल से शादीशुदा हैं। ",आंटी ने कहा।
"फिर आंटी ४५ साल कैसे ?ओह्ह क्या आपकी लव मैरिज थी ?",लड़की ने अपनी थोड़ी पर हाथ रखते हुए पूछा।
"हाँ बेटा। सोलह आना लव मैरिज ;वो आज की पीढ़ी क्या कहती है प्रॉपर लव मैरिज। ",इस बार पुरुष ने कहा।
अब लड़की की जिज्ञासा अंकल -आंटी की कहानी जानने के लिए बढ़ गयी थी।
"आप कैसे मिले ?घरवालों को कैसे मनाया ? इतने लम्बे समय तक एक दूसरे के साथ कैसे ?",लड़की ने एक के बाद एक कई सवाल कर डाले।
"बेटा ,तुम्हारी आंटी गांव के एक रसूखदार परिवार की बेटी थी ;जो बाहर हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही थी। छुट्टियों में अपने घर आयी हुई थी। बहुत ही शैतान थी। रास्ते में कीलें फैला देती थी ;फिर कोई साइकिल वाला गुजरता था तो उसका टायर पंचर हो जाता था और मोहतरमा बहुत हंसती थी। मैं गांव के एक गरीब किसान परिवार का होनहार बेटा था। ",पुरुष ने स्त्री की तरफ देखकर हँसते हुए कहा।
"फिर ?",लड़की ने पूछा।
"गांव से दूर दूसरे कस्बे में पढ़ने के लिए जाता था। पैदल ही जाता था। उन दिनों मेरी परीक्षाएं चल रही थी। अंतिम पेपर था ;देर से नींद खुली थी। इसीलिए पड़ौसी भैया की साइकिल उधार माँगकर ले गया था। लौटते हुए तुम्हारी आंटी की कारस्तानी का शिकार हुआ। यह उधर हँस रही थी और मैं रो रहा था। मेरे आँसू ने इनके दिल को पिघलाया और यह मेरे पास आ गयी। ",पुरुष ने याद करते हुए कहा।
हैं ?",महिला अब आगे की कहानी बताने लगी।
"हमारे गणित में 100 में से 100 नंबर आते हैं ;यह सुनकर तुम्हारी आंटी ने एक समाधान निकाल लिया। आंटी ने हमसे कहा तुम हमें ट्यूशन पढ़ा देना और अब यह पैसे ले लो।
तुम्हारी आंटी अपने घर की लाड़ली थी। हम भी गांव के अच्छे किशोरों में शामिल थे। आंटी को हमने ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया।
तुम्हारी आंटी एक अच्छे ह्रदय की मालकिन थी ;यह ट्यूशन पढ़ाते हुए हम समझ गए थे। यह अपने घर काम करने वाले सभी नौकरों से बड़े इज़्ज़त और प्यार से बात करती थी ;इनका व्यवहार सम्मानपूर्ण था।
हमारे दिल में आंटी के लिए सम्मान के साथ ;प्यार ने कब जन्म ले लिया ?इसका एहसास हमें तब हुआ ,जब तुम्हारी आंटी वापस हॉस्टल चली गयी। ",पुरुष ने बताया।
"बेटा ,अक्सर जब कोई हमसे दूर हो जाता है ;तब समझ आता है कि हमारे जीवन में उसका क्या महत्व है ?
हम भी तुम्हारे अंकल के धीर -गंभीर व्यक्तित्व के कायल हो गए थे। हम कितना ही प्रयास कर लें ;अंकल कभी खीझते नहीं थे। हम कई बार जानबूझकर एक ही सवाल दसियों बार पूछते थे ;लेकिन अंकल कभी भी गुस्सा नहीं करते थे।
हॉस्टल में जाकर हम भी तुम्हारे अंकल को मिस करने लगे थे। ऐसा लगता था कि हमें पंख मिल जाएँ और हम अंकल पहुँच जाएँ। हम बेसब्री से छुट्टियों का इंतज़ार करने लगे। जहाँ पहले हम किसी भी त्यौहार पर घर आना पसंद नहीं करते थे ;अब छुट्टी होने पर भी घर आ जाते थे। ",महिला ने सुनहली धुंधली हो चुकी यादों को एक बार दोबारा जीते हुए बताया।
"वाह अंकल -आंटी ;आग तो दोनों तरफ बराबर लगी थी। ",लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा।
"ऐसे ही बेटा 3 साल गुजर गए। तुम्हारी आंटी का स्कूल ख़त्म हो गया और कॉलेज में आ गयी और हम तो कॉलेज में आ गये थे। हम और तुम्हारी आंटी अब एक ही शहर में थे ;तो मिलना -जुलना बढ़ गया था। दोनों किशोर से परिपक्व युवा हो गए थे। बिना कहे ही दोनों एक -दूसरे के ह्रदय की बात जानते थे। हम दोनों में वो तुम क्या कहते हो प्रपोज़ किसी ने भी किसी को नहीं किया था। ",पुरुष ने महिला का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा।
"तब ही घर में मेरी शादी की बात चलने लगी थी। मैंने टालने की कोशिश की ;अपनी पढ़ाई का हवाला दिया। तुम्हारे अंकल कॉलेज के अंतिम वर्ष में थे ;कॉलेज ख़त्म होने पर ही कोई ढंग की नौकरी मिल सकती थी। वैसे अंकल ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्चा निकाल ही रहे थे। ",महिला ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा।
"फिर क्या हुआ ?",लड़की ने पूछा। उसकी जिज्ञासा बढ़ती ही जा रही थी।
"वही जो होता है। घरवालों ने तुम्हारी आंटी की शादी तय कर दी और संदेशा भिजवा दिया कि 6 महीने बाद का मुहूर्त है। परीक्षा समाप्त होते ही तुमको लेने आ जायेंगे। ",पुरुष ने बताया।
"फिर आपने क्या किया ?",लड़की ने अपनी आँखें बड़ी करते हुए कहा।
"तुम्हारी आंटी का रोना शुरू हो गया। घरवालों से तो बात करने की हिम्मत हम दोनों में ही नहीं थी। हिम्मत करते भी कैसे ;पहले से ही जानते थे कि आंटी के घरवाले कभी इस रिश्ते के लिए मानेंगे नहीं। मैं एक -दो जगह नौकरी के लिए प्रयासरत था। ",पुरुष ने बताया।
"तुम्हारे अंकल एक जिम्मेदार बेटे भी थे। उन्होंने अपने माँ -बाबुजी को भी इनके साथ चलकर शहर में रहने के लिए मना लिया। इनके बाबुजी ने अपनी आधी जमीन भी बेच दी थी। इसी बीच अंकल की दूसरे शहर में नौकरी लग गयी। मेरी परीक्षा ख़त्म होते ही हम चारों दूसरे शहर चले गए थे। अंकल के माँ -बाबुजी ने मुझे ख़ुशी -ख़ुशी स्वीकार कर लिया था। इन तीनों के सहयोग से मैंने पढ़ाई जारी रखी। पोस्ट ग्रेजुएशन किया और फिर पीएचडी। ",महिला ने बताया।
"और फिर तुम्हारी आंटी यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर बन गयी और इन्होंने मुझे नौकरी से छुटकारा दिलवा दिया। ",पुरुष ने बताया।
"वो इसलिए ताकि तुम्हारे अंकल सिविल सर्विसेज की तैयारी कर सकें। अंकल डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित भी हुए। ",महिला ने बताया।
"उसके बाद डिप्टी कलेक्टर दामाद को तुम्हारी आंटी के घरवालों ने आसानी से स्वीकार कर लिया। ",पुरुष ने बताया।
"बेटा ,हम दोनों ने सही मायने में एक दूसरे को पूरा किया है। हम दोनों सामंजस्य बैठा लेते हैं। मेरे लिए शादी आज़ादी का दूसरा नाम है। ",महिला ने बताया।
"आंटी ,सब आपके जितने लकी नहीं होते। ",लड़की ने कहा।
"कुछ तो होते हैं न। वैसे भी लड़के से मिलने में क्या बुराई है ?क्या पता तुम भी कुछ लकी लड़कियों में शामिल होने वाली हो ?",महिला ने मुस्कुराते हुए कहा।
"यह तो आप सही कह रहे हो। ",लड़की ने कहा।
ट्रैन रुक गयी थी। लड़की का स्टेशन आ गया था।
"बातों -बातों में पता ही नहीं चला और मेरा स्टेशन भी आ गया। अभी ट्रैन से उतरते ही मम्मी को फ़ोन करूँगी। थैंक यू अंकल एंड आंटी। ",लड़की ने अपना बैग सम्हालते हुए कहा।
"आल द बेस्ट बेटा। ",महिला और पुरुष ने हाथ हिलाकर उसे बाय -बाय कहा।

