तेरी मेरी कहानी

तेरी मेरी कहानी

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क्या रिश्ता है मेरा तुमसे ? ये सवाल मेरे लिए शायद उतना हीं कठिन है जितना 12वीं के maths में मेरे लिए 3D animations वाला chapter था, कभी समझ हीं नहीं आया, पहले अज़नबी फिर दोस्त फिर प्यार फिर दोस्त फिर प्यार दोस्त और ये रिश्ता उस सिलसिले की तरह जो कभी रुकता नहीं.. हे भगवान ! असमंजस में पड़ जाती हूँ ये सब सोच-सोच के। फिर हमने इस रिश्ते को कोई नाम ना देना हीं ठीक समझा, चलो ये भी ठीक है, रिश्तों की उलझन वैसी की वैसी ही है पर फिर भी इस बात की खुशी तो है, कि कोई नाम बेशक ना हो पर इस बेनाम रिश्ते में प्यार और विश्वास तो बहुत है।

लेकिन इस बात से हम दोनों हीं अंजान है कि इसका भविष्य क्या होगा, शायद हम फिर से अजनबी बन जाएँगे, शायद दूर के दोस्त या शायद फिर से प्यार हो जायेगा.. पता नहीं!

ख़ैर, भविष्य को लेकर इतना क्यों सोचना, बस एक बात कहनी है तुमसे.. बेशक़ हमारे बीच कोई रिश्ता रहे या ना रहे, पर जब भी तुम मेरी तरफ़ देखोगे, तुम्हें एक अच्छी दोस्त ज़रूर दिखाई देगी, जो तुम्हारी खुशी के लिए शायद तुम्हें खो भी सकती है और ज़रूरत पड़ी तो किसी को धो भी सकती है।

और रिश्ते शायद बदलते रहें हमारे.. पर ये दोस्ती ऐसी ही रहेगी और ये मेरा वादा है तुमसे।


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