ख़ूबसूरत ताज
ख़ूबसूरत ताज
प्यार के प्रतीक इस ताज महल की ख़ूबसूरती से भला कौन वाकिफ़ नही होगा.. किसी ने क़रीब से महसूस किया तो किसी ने तस्वीरों के ज़रिए.. लेकिन मोहब्बत की इस निशानी ने तो हर शख़्स को अपनी ख़ूबसूरती का दीवाना बना दिया, और सिर्फ़ इंसान हीं नहीं इस अजूबे की ख़ूबसूरती का क़ायल तो कुदरत भी बन गया है, और यही वजह है कि सूरज भी कभी इसके माथे की बिंदिया बन चमचमा उठता है तो कभी अपनी सारी किरणें इस पर उडेल कर अपनी चमक से उसे सराबोर कर देता है.. और साथ हीं गुज़रने वाली यमुना भी जैसे इस ख़ूबसूरत नज़ारे को देखकर ख़ुद को मदहोश होने से नहीं रोक पाती है.. और इस ख़ूबसूरत नज़ारे का प्रतिबिम्ब ख़ुद में समेटे इठलाती हुई चलती जाती है।
अब ऐसी ख़ूबसूरती पर अगर किसी फ़ोटोग्राफर
की नज़र पड़ जाये तो भला कौन रोक सकता है उन्हें इस ख़ूबसूरती को दुनिया से रु-ब-रु करवाने से, इसे चाहे आप उनका जुनून समझ लीजिये या उत्तरदायित्व लेकिन हर वो नज़ारा जो इनकी नज़रो को भा जाता है उसे दुनिया से रु-ब-रु करवाने का एक भी मौका नहीं छोड़ते।