उसकी दोस्ती
उसकी दोस्ती
कहते हैं, सच्चे दोस्त की पहचान अक्सर आपके बुरे वक़्त में हीं होती है, क्योंकि बुरे वक़्त में वो आपको अकेला नहीं छोड़ते।
पर मेरी ज़िन्दगी में तो वो सिर्फ़ एक दोस्त नहीं, फ़रिश्ता भी बनकर आई, जिसने मेरा हाथ उस वक़्त थामा जब मैं शायद ख़ुद को ही भुला बैठी थी। तन्हाई को हमसफ़र बना कर, ख़ामोशी को आदत बना चुकी थी।
मुझे अक्सर कॉम्प्लीमेंट्स मिलतें हैं, कि मैं हँसती बहुत हूँ, और मस्तमौला रहती हूँ। हाँ! ये सच है, पर कुछ समय पहले ये भी सच नहीं था।
लेकिन ये भी सच है, कि मेरी ख़ामोशी से, मेरे मस्तमौला रहने तक के सफ़र में, हर पल, हर लम्हे की साथी रही है वो। वो ऐसी साथी है, जिसने सिर्फ दोस्त और फ़रिश्ता बनकर हर पल साथ हीं नहीं दिया, बल्कि बड़ी बहन बनकर बहुत कुछ समझाया भी और ज़रूरत पड़ने पर डांटा भी।
और दुनिया की किसी भी भाषा या लिपि में ऐसा कोई शब्द नहीं है, जो मेरी ज़िन्दगी में उसकी अहमियत को बयां कर पाये।
अब्दुल कलाम जी ने कहा है कि, एक अच्छी पुस्तक सौ दोस्तों के बराबर होती है, और एक अच्छा दोस्त लाइब्रेरी की तरह होता है, और वो मेरी वही लाइब्रेरी है।
हाँ, वही लाइब्रेरी जिसकी तलाश ना जाने कब से थी मुझे। हाँ, वही लाइब्रेरी जिसके हर पुस्तक में संघर्ष भरी दास्ताँ है, और हर पन्ने में वो प्यार भरी ख़ूबसूरती है, जिसे पढ़कर वो सुकून मिलता है, जो शायद हर सुकून से बढ़कर है।