मेरे सपनों की दुनिया
मेरे सपनों की दुनिया
जब कभी फ़ुरसत की दो घड़ियाँ मिलती है। मैं खो जाती हूँ, अपनी ही बनाई हुई एक दुनियाँ में, जहाँ मैं ना भी चाहूँ, तो भी तुम दस्तक दे ही देते हो.. हालाँकि मैं जानती हूँ अच्छी तरह, कि तुम्हारी दुनिया में मैं दूर- दूर तक नहीं।
और वैसे भी, तुम्हारे लिए ये सपना तो बस उस सपने की तरह थी, जिसे नींद में देखने पर शायद अच्छा महसूस हो, पर सवेरा होते-होते अक्सर लोग भूल जाते हैं, और उसका कोई अस्तित्व नहीं रह जाता। ख़ैर, मेरी ऐसी कोई ख़्वाहिश भी नहीं कि तुम मुझे याद रखो, मैं ख़ुद पर यक़ीन रखने वालों में से हूँ, और तुमने रॉकस्टार का वो गाना तो सुना ही होगा, तुम हो... जिसकी वो लाइन्स हमेशा से मेरे दिल के क़रीब है.." जितना महसूस करूँ तुम को, उतना ही पा भी लूँ " और यही सच भी है। शायद इसलिये मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता, कि तुम्हारे लिए मैं मायने रखती भी हूँ या नहीं, सच कहूँ तो मैंने तुम्हें कभी मांगा भी नहीं ऊपरवाले से, तुम्हारी ख़ुशियाँ मांगी थी बस। तो क्या फर्क पड़ता है, कि ख़ुशियाँ तुम्हें मुझसे मिले या किसी और से, गिला तो बस इस बात का है, मेरी ज़िन्दगी से जाने का तकल्लुफ़ भी तुम्हें उठाना पड़ा। एक बार अगर मुझसे कह देते तो मैं खुद हीं रुख्सत हो जाती तुम्हारी ज़िंदगी से।
ख़ैर, थोड़ा वक़्त लगा.. पर ये बात अच्छी तरह समझ में आ गई है, कि तुम्हारा रूखापन, तुम्हारा हर बार मुझे नज़रअंदाज़ करना, ये सब बहुत ज़रूरी था। क्योंकि प्यार-व्यार जैसी चीज़ों के लिए मैं बनी ही नहीं हूँ, मेरी मंज़िल तो कहीं और ही है, शायद रास्ता भटक गई थी मैं और शुक्रगुज़ार हूँ तुम्हारी कि देर से ही सही, तुम मेरे रास्ते पर ले आये मुझे।
अब मैं लौट आई हूँ अपनी दुनिया में, और खुश हूँ बहुत। तुम्हारे साथ ना सही, पर तुम्हारी यादों के साथ जीने में भी अलग ही सुकून है। अब तो बस मेरे क़दम चल पड़े हैं, उन अनजान रास्ते पर, जहाँ ना जाने कब से मेरे सपने मुझे पुकार रहे हैं, ये तो नहीं जानती कि मेरी मंज़िल मुझे कब मिलेगी। लेकिन यक़ीन है मुझे, कि ये सफ़र बेहद ख़ूबसूरत होगा, क्यूंकि हमसफ़र तुम्हारी यादें जो है।