STORYMIRROR

Sapna Shabnam

Romance

2  

Sapna Shabnam

Romance

वो चिट्ठियों के ज़माने का प्यार

वो चिट्ठियों के ज़माने का प्यार

2 mins
401

ऐसा नहीं है कि मुझे कभी प्यार नहीं हुआ.. पर वो प्यार कुछ ऐसा था जैसे किसी हिन्दी सिनेमा की वो कहानी जिसमें भावुकता तो होती है, लेकिन वो कहानी सुपर फ़्लॉप हो जाती है। हालाँकि इस बात कोई दुःख या अफ़सोस नहीं है, पर एक सवाल है जो हमेशा मेरा पीछा करता है, और वो सवाल ये है कि आजकल जहाँ लोगों को नौकरी मिले ना मिले.. छोकरी ज़रूर मिल जाती है.. यहाँ तक की हमारी खिड़की पर आने वाला कबूतर भी अपनी माशूका के साथ आता है गुटर-गूँ करने.. फिर आख़िर ऐसी कोई तो वजह होगी कि हम वफ़ा कर के भी तनहा रह गये। ये बात तो साफ़ थी की कि तन्हाई का वफ़ा से कोई लेना देना नहीं है, असली फ़ंडा तो कुछ और ही है बॉस जो शायद मेरी समझ से परे है।

एक दिन यूँ हीं पुराने गीत (जोकि बहुत पसन्द हैं मुझे) सुनते-सुनते वो फ़ंडा भी समझ में आने लगा। बात दरअसल कुछ यूँ है कि, बिना पल भर को रुके बस तेज़ रफ़्तार में दौड़ रही इस दुनिया में मेरी रफ़्तार शायद बहुत ज़्यादा धीमी पड़ गई है।

यूँ तो ख़ुद को 21वीं सदी लड़की बताती हूँ पर मेरा दिल तो अब भी उस चिट्ठियों के ज़माने वाले प्यार में अटका हुआ है.. जिसमें चिट्ठी का मतलब सिर्फ़ चिट्ठी नहीं था, लोग अपने महबूब का दीदार कर लिया करते थे चिट्ठियों में, चिट्ठी में भेजे हुए फूल में महबूब के दिल की धड़कन महसूस हो जाती थी, और चिट्ठियाँ सिर्फ़ सन्देश का हीं ज़रिया नहीं थी ज़नाब! केरल की गरमी और नैनीताल की सर्दी भी भेजी जाती थी चिट्ठियों के ज़रिये.. भला ये दिल भी क्यूँ ना अटके बार-बार उस चिट्ठियों वाले प्यार पर!

आज के वक़्त में जहाँ ब्लू टिक होते ही अगर तुरन्त जवाब ना आये तो ब्रेकप तक की नौबत आ जाती है वहीं एक वो वक़्त था जहाँ प्रियतम के एक ख़त के इंतज़ार में महीनों गुज़ार दिये जाते थे और ब्रेकअप का तो नाम-ओ-निशान नहीं होता था।

इसे चाहे आप मेरे दिल का पागलपन समझें या दीवानापन जो बाबू शोना वाले ज़माने में रहकर भी "प्रियतम और प्रियतमा" के ज़माने वाले प्यार का दीवाना है।

अब तो चाहे इस प्यार की क़ीमत में तन्हाईयाँ ही क्यूँ ना मोल लेनी पड़े.. चाहे इस तेज़ रफ़्तार में दौड़ती दुनिया की भीड़ में ठहरना ही क्यूँ ना पड़े.. चाहे प्रेम कहानियों के फ्लॉप होने का सिलसिला हीं क्यूँ ना चलता रहे.. मंज़ूर है मेरे यार.. सब मंज़ूर है! प्यार हीं कुछ ऐसा है उस चिट्ठियों के ज़माने वाले प्यार से कि उसे जीतने के लिए हर हार मंज़ूर है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance