सुपर ब्लू ब्ल्ड मून
सुपर ब्लू ब्ल्ड मून
याद है मुझे वो सन्नाटे भरी सर्दीली रात , जब सब रजाइयों और कम्बलों में दुबके हुए थें । मैं बहुत चुपके से रजाई से निकल कर छत पर पहुंच गई मोबाइल का टार्च जलाकर आसमान में चांद को देखने के लिए ...मगर दिखाई नहीं दे रहा था । दिनभर के अखबारों और टीवी के न्यूज चैनलों पर देखा , सुना और पढ़ा था कि आज की रात आकाश में अद्भुत अद्वितीय नज़ारा होगा "सुपर ब्लू ब्ल्ड मून " का जो हम खुली आंखों से देख सकेंगे । मैंने उन सभी दोस्तों एवं परिचितों को मैसेज किया था कि वो अपने अपने छतों पर जाकर प्राकृति के सुंदर दृश्य को देखें और अपने कैमरे में क़ैद करके मुझे भी भेजें क्योंकि मैं शायद नहीं देख पाऊंगी क्योंकि सीढियां चढ़ कर ऊपर नहीं जा सकती और फिर मैं अपने घर पर भी नहीं हूं । मेरे दोस्तों और परिचितों में से कुछ लोगों ने तस्वीरें भेजी जिसे देखकर मन बेहद उत्साहित हुआ अपने आंखों से देखने के लिए और चुपके चुपके चोरी चोरी मैं कमरे से निकल कर सीढियां चढ़ कर छत पर पहुंच गई मगर मुझे चांद दिखाई नहीं दिया । बड़ी मायूस होकर मैं अपना मोबाइल देखने लगी कुछ और तस्वीरें भेजी थी लोगों ने । जिसमें एक तस्वीर बेहद खूबसूरत लगी शायद इसलिए कि वो प्रोफेशनल कैमरा से ली गई थी । मैंने तुरंत प्रतिक्रिया दी - "सबसे खूबसूरत लगा आपका चांद " मेरे कहने का तात्पर्य था कि जितनी भी तस्वीरें आई हैं उनमें सबसे खूबसूरत थी उनकी भेजी हुई तस्वीर । लेकिन जल्दीबाजी में अधूरा ही लिख कर भेज दिया । उन्होंने भी तुंरत जवाब दिया था :- "मेरा चांद तो तुम्हें दर्पण में दिखाई देगा ।" न जाने क्या हुआ मुझे कि बेतहाशा भागती हुई सीढ़ियों से उतरती हुई नीचे पहुंची और सीधे ड्रेसिंग रूम के लगे दर्पण के सामने खड़ी होकर मुस्कुराने लगी , इतराने लगी और शर्माने में लगी इतने में पीछे से आकर रमा ने कहा आईने में चांद देख रही हो ? मैंने कहा तुम्हें कैसे पता चला ? रमा ने पूछा क्या ? "मैंने कहा यही कि उन्होंने कहा है मेरा चांद तो तुम्हें दर्पण में दिखाई देगा ।" यह सुनकर रमा खामोश हो गई। मैंने देखा रमा गंभीर हो गई और कुछ नाखुश भी उसने बस इतना ही कहा कि "तुम्हें इतना भी ध्यान नहीं रहा कि चोरी चुपके से छत पर चली गई , बुखार से तपता बदन और इस ठिठुरन भरी सर्दीली रात में ? तुम्हारे ओढ़े हुए साल फुल दान के पौधे में उलझकर नीचे गिर गया जिससे आहट पाकर मैं घबरा कर देखने आई और तुम यहां आईना में चांद देख देखकर कर इठला रही हो ?" मैं बुरी तरह झेंप गई । रमा की इस मायुस का एक कारण है । उसे लगता है कि मैं अधिक खुशनसीब हूं । अभी तक कोई है जो मेरा बेइंतहा और बेहिसाब ख्याल रखता है मेरी बहुत परवाह करता है जबकि मैं किसी लायक नहीं हूं । किसी को कोई खुशी , कोई सुख और कोई आनंद नहीं दे सकती उल्टा परेशानी , दुःख , दर्द , तकलीफ़ और पीड़ा देती हूं फिर भी सब लोग मेरी कितनी परवाह करते हैं । मैंने तो सिर्फ एक तस्वीर मांगी थी आज के "सुपर ब्लू ब्ल्ड मून" का और पच्चीसों तस्वीरें आ गई अलग अलग शहरों से ।
वास्तव में मैं बहुत खुशनसीब हूं कि उम्र के इस पड़ाव पर भी हैं चंद लोग जो मेरी बकवास ख्वाहिशें भी पूरी कर देते हैं । वैसे मुझे तो बस एक मैसेज ने बहका दिया और मैं पीछे बहुत पीछे सदियों पहले लौट गई अपने उस पहले प्यार के उन्मादी पलों में .......... बड़ी हैरानी की बात है कि आज भी कोई मुझे अपना चांद समझता है । मैं तो खुद को धरती का बोझ और बेजरूरत का कबाड़ समझने लगी हूं । ख़ैर मुझे जो आज अप्रत्याशित , अद्भुत और अप्रतिम सुख की अनुभूति हुई है उसे आत्मसात कर लेना चाहती हूं । इस अलौकिक स्वर्गिक आनन्द को समेट कर रख लेना चाहती हूं उस अंतिम पल के लिए जब इस सुंदर संसार से विदा होने का वक्त आएगा तब भी मेरा मन पुलकित और आनंदित रहेगा मेरे कानों में सुनाई देता रहेगा उनके अनमोल शब्द - "मेरा चांद तो तुम्हें दर्पण में दिखाई देगा ।" मेरा पहला प्यार मेरे जीवन के अंतिम पलों तक रहेगा मेरे साथ ।