सुनहरी यादें
सुनहरी यादें


पुष्पा जी की इच्छा आखिर आज पूरी हो गयी। उनके इकलौते बेटे का विवाह बड़ी धूम से आज सम्पन्न हुआ।
पति ने निधन के बाद से ही वे दुखी थी बस ख्वाहिश थी कि बेटे का विवाह हो जाये। बहू का मुख देख लूं और सास होने का सुख भी भोग लूं।
पर आज जब उन्होंने अपनी बहु अनामिका को दुल्हन के रूप में देखा उन्हें अनायास ही वे लम्हे याद आ गए जो उनके अपने थे जब वे भी दुल्हन बनी थीं।
दुल्हन बनकर कितनी सुंदर लग रही थी वे आज पुराने एलबम को फिर से देखने का मन हुआ।
जिसमे वे और उनके पति थे। वो लम्हे याद करते करते उनकी आंखों में आंसू आ गए आराम कुर्सी में सर रख बैठ गयी वे और कब उन अतीत के सुनहरे लम्हों की यादों में खोए हुए उन्हें नींद आ गयी पता ही न चला।