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Anshu Shri Saxena

Abstract

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Anshu Shri Saxena

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सुबह का भूला

सुबह का भूला

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पुलवामा की घटना बीते लगभग ढाई महीने बीत चुके है और घाटी में सेना का आतंकवादियों को चुन चुन कर मारने का काम ज़ोरों पर चल रहा है । जम्मू कश्मीर में सेना ने फ़रमान सुना दिया है कि सभी माँएं अपने ग़लत राह पर भटक गये बच्चों को समझायें और आतंकवाद छोड़ने के लिये प्रेरित करें । 

आज भी रात के साढ़े दस बज चुके हैं और इक़बाल का कोई पता नहीं । हमीदा का दिल चिन्ता से बैठा जा रहा है । इक़बाल उसका अठारह वर्षीय इकलौता बेटा है जो श्रीनगर के एक कॉलेज में बी.ए. कर रहा है । पिछले कुछ महीनों से इक़बाल पत्थरबाज़ों के गैंग में शामिल हो गया है , कहता है उसे एक पत्थर सेना पर फेंकने के लिये पचास रुपये मिलते हैं । 

हमीदा और उसके शौहर दोनों ने इक़बाल को पत्थरबाज़ी छोड़ने के लिये कई बार समझाया है परन्तु इक़बाल उनकी एक नहीं सुनता......कहता है......

“ अरे अम्मी आप नाहक परेशान होती हैं....ज़रा सी देर में मैं सिर्फ़ कुछ पत्थर फेंक कर चार पाँच सौ रुपये आराम से कमा लेता हूँ । मुझे अब्बू से जेबखर्च भी नहीं माँगना पड़ता.....बताइये तो ज़रा मेरी उम्र के लड़कों को इससे अच्छा क्या काम मिलेगा ? और अब तो सलीम भाई पत्थर फेंकने के भी रेट बढ़ाने वाले हैं....वे मुझसे कहते हैं कि इक़बाल तुम्हारा निशाना बहुत अच्छा है , आगे से तुम्हें एक पत्थर मारने के सौ रुपये मिला करेंगे “

पर हमीदा अपने माँ के दिल का क्या करे ? जब तक इक़बाल घर लौट नहीं आता वह चौखट पर टकटकी लगाये बैठी रहती है । हमीदा जानती है कि उसका इक़बाल राह भटक चुका है । वह शुरु से ऐसा नहीं था पर जब से वह कॉलेज जाने लगा है ,ग़लत दोस्तों के चक्कर में पड़ गया है । अब उसे जेहाद की बातें रोमांचित करती हैं। सेना के जवान उसे दुश्मन लगने लगे हैं ।

थोड़ी देर में दरवाज़े पर आहट हुई तो हमीदा दौड़ कर बाहर की ओर भागी । उसने देखा सेना का एक जवान बुरी तरह से घायल इक़बाल को अपने कंधे पर उठाये खड़ा है । हमीदा इक़बाल को घायल देख कर बुरी तरह घबरा गई , उसने तुरन्त इक़बाल के अब्बू को आवाज़ दी । इक़बाल के अब्बू तुरन्त बाहर आये और जवान की सहायता से इक़बाल को अंदर पलंग पर लिटा दिया ।इक़बाल के सिर से ख़ून बुरी तरह बह रहा था ।जवान ने तुरंत अपना रुमाल इक़बाल के सिर पर बाँध दिया ताकि ख़ून का बहाव थोड़ा रुक सके । फिर उसने हमीदा और उसके शौहर की सहायता से इक़बाल के घाव थोड़े साफ़ किये । हमीदा और उसके शौहर दोनों जवान का शुक्रिया करते हुए बोले

“ तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया बेटा...तुमने मेरे इक़बाल की जान बचाई....ये सब कैसे......? “

उनका प्रश्न पूरा हो पाता उससे पहले ही जवान बोल पड़ा 

“ शुक्रिया की कोई बात नहीं.....मैं अभी थोड़ी देर पहले गश्त कर के लौट रहा था कि एक गली में कुछ लड़के आपके बेटे को बुरी तरह से मार रहे थे.....मेरे हाथ में बंदूक़ देख कर वे इसे वहीं छोड़ कर भाग गये.... तब तक आपका बेटा होश में था....मैं तो इसे सीधे अस्पताल ले जा रहा था , परन्तु यह बोला कि इसी गली के अंत पर इसका घर है और इसकी अम्मी यानि की आप इसका इंतज़ार कर रही हैं....अभी मैंने इसके घाव तो साफ कर दिये हैं....थोड़ी देर में इसे होश भी आ जायेगा....पर आप लोग इसे एक बार डॉक्टर को ज़रूर दिखा लें.....और हाँ , मैं उन लड़कों को अच्छी तरह से पहचानता हूँ जिन्होंने आपके बेटे का यह हाल किया है.....मैं उन्हें छोड़ूँगा नहीं “ कह कर वह जवान अंधेरे में ओझल हो गया । 

थोड़ी देर में इक़बाल को होश आ गया । हमीदा को देखते ही उसकी आँखों में आँसू तैरने लगे । वह धीमी आवाज़ में बोला

“ मुझे माफ़ कर दीजिये अम्मी , अब्बू....मैं भटक गया था । मेरी यह हालत सलीम भाई और उनके दोस्तों ने ही की है....आज उन्होनें मुझे एक बंदूक़ दी और मुझे अपने ही साथ में पढ़ने वाले लड़के अमरजीत की जान लेने को कहा.....मैं ये कैसे कर सकता था अम्मी ? अमरजीत मेरा कितने सालों पुराना दोस्त है और चड्ढा अंकल का अकेला बेटा....मैंने जब सलीम भाई को मना किया और कहा कि पत्थर फेंकने तक तो ठीक है, मैं किसी की जान नहीं ले सकता तो सलीम भाई गाली गलौज पर उतर आये और अपने दोस्तों के साथ मुझे बुरी तरह से मारने लगे....आप ठीक कहतीं थीं अम्मी...कश्मीर की बरक्कत मिलजुल कर रहने में ही है....जेहाद का असली अर्थ बुराइयों को दूर भगाना है न कि किसी दूसरे इंसान की जान से खेलना....अब मैं मन लगा कर पढ़ाई करूँगा अम्मी और इतना बड़ा आदमी बनूँगा कि आप और अब्बू मुझ पर नाज़ करें “

“ मुझे तुम पर अब भी नाज़ है मेरे बेटे.....सुबह का भूला अगर शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते”

कह कह हमीदा ने इक़बाल को गले से लगा लिया । हमीदा की आँखों में ख़ुशी के आँसू थे और इक़बाल की आँखों में पश्चात्ताप के ।


 

          



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