परवरिश
परवरिश
”माँ, आज फिर स्कूल में श्वेता ने भैया की शिकायत प्रिन्सिपल सर से की, भैया अपने दोस्तों के साथ श्वेता को हमेशा परेशान करते है... आप भैया को समझाती क्यों नहीं ?” स्कूल से आते ही, अवनि ग़ुस्से से फट पड़ी।
रजनी के दोनों बच्चे अखिल और अवनी एक ही स्कूल में पढ़ते हैं, अवनि नौवी कक्षा में और अखिल ग्यारहवी में। रजनी सोचने लगी, “मेरे ही दोनों बच्चों में कितना अंतर है... मैंने तो अखिल और अवनि को एक सी ही परवरिश दी, एक से संस्कार... परन्तु, जहाँ अवनि पढ़ने में होशियार होने के साथ साथ घर में सबका ख़्याल रखती है, वहीं अखिल... अपने आवारा दोस्तों की संगति में बिगड़ता जा रहा है, हर समय उसके हाथ में मोबाइल रहता है और पढ़ाई-लिखाई से कोई मतलब नहीं... उसके दिमाग़ में गंदे विचार विष की तरह घुलते जा रहे हैं।”
तभी अपनी सास की आवाज़ से रजनी की तंद्रा टूटी। वे अवनि को डाँटते हुए कह रहीं थी, “बस तुझे भाई की शिकायत के अलावा और कोई काम नहीं... अखिल लड़का है और लड़के तो थोड़े चंचल होते ही है, तेरी सहेली को भी ज़रा सी बात पर प्रिन्सिपल से शिकायत करने की क्या ज़रूरत थी ?”
रजनी ने निर्णय ले लिया कि वह शाम को ही राजेश से बात करके अखिल को सैनिक स्कूल में भर्ती करा देगी! जहाँ के कड़े अनुशासन में रह कर अखिल एक बेहतर इंसान बन सकेगा। अपनी परवरिश को कलंकित होने से बचाने के लिये यही क़दम सही था।