मेरी प्रेरणा मेरी माँ
मेरी प्रेरणा मेरी माँ
मैं अंशु श्री सक्सेना , वाराणसी की रहने वाली हूँ।
मेरी शिक्षा दीक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय( B.H.U.) से हुई।बचपन से ही मुझे लिखने पढ़ने में बहुत रुचि थी।हिन्दी से मेरा जुड़ाव पाँच वर्ष की उम्र में हुआ , जब मैंने स्टेज पर हिन्दी कविता पढ़कर प्रथम पुरस्कार जीता।तभी से हिन्दी मेरे मन को भाने लगी थी। मैंने अपनी पहली कविता ग्यारह वर्ष की उम्र में लिखी थी।मुझे लिखने की प्रेरणा अपनी माँ से मिली।वे स्वयं एक अच्छी लेखिका थीं।
उन्होंने सदैव मुझे लिखने के लिये प्रोत्साहित किया।वे सदैव मुझसे कहतीं, दिन भर के अपने अनुभवों को लिखो।ऐसे ही धीरे धीरे लिखना प्रारम्भ हुआ।फिर तो स्कूल में होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओं , जैसे निबन्ध लेखन, कविता लेखन , संस्मरण लेखन आदि में मुझे पुरस्कार मिलने लगे जिन्होंने मेरा हौसला बढ़ाया।मुझे लेखन के साथ साथ गणित और विज्ञान विषयों में गहरी रुचि थी अत: मैंने रसायनशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री ली।विवाह के पश्चात मैंने स्थानीय विद्यालय में अध्यापन कार्य आरम्भ किया , जिससे एक अध्यापिका के रूप में मेरी पहचान बनी।इसी बीच मैं दो बच्चों की माँ बनी। बच्चों की परवरिश के साथ साथ मैंने अध्यापन और लेखन का कार्य जारी रखा।
