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Anshu Shri Saxena

Drama Crime

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Anshu Shri Saxena

Drama Crime

उजालों की क़ीमत

उजालों की क़ीमत

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कितना ख़ुश था संजय, जब सुंदर पढ़ी-लिखी सिया ने उसकी जीवनसंगिनी बन उसके घर में क़दम रखा था। लगभग तीन महीने बीतने को थे, एक दिन सिया ने संजय से कहा, “सुनो, अपने बाप से कह कर पाँच लाख रुपये मेरे अकाउंट में डलवाओ, वरना मैं तुम सब पर दहेज उत्पीड़न का केस कर, तुम सबकी ज़िन्दगी नर्क बना दूँगी... रुपये मिलते ही मुझे तुमसे छुटकारा चाहिये... मुझे कमल के साथ रहना है।” संजय हैरान होकर बोला, “ यह क्या कह रही हो सिया... पापा से पाँच लाख कैसे माँगूँगा, मुझे कुछ समय दो, मैं तुम्हें पैसे दूँगा।”

 

पर सिया के सिर पर तो जैसे जुनून सवार हो गया, वह संजय और उसके परिवार वालों पर दहेज उत्पीड़न का झूठा केस लगा कर अपने माता-पिता के घर चली गई। अब संजय और उसके परिवार की ज़िन्दगी पुलिस और अदालतों के चक्कर लगाने में गुज़रने लगी। संजय की माँ की इस सदमें के कारण ही मृत्यु हो गई और संजय भी अवसादग्रस्त हो गया।


किसी पारिवारिक मित्र की सहायता से एक नामी वकील ने संजय का केस लड़ा और वे बड़ी मुश्किल से संजय और सिया का तलाक़ कराने में सफल हो पाए। बीती ज़िन्दगी को बुरा ख़्वाब समझ, आज संजय के क़दम सियारूपी बेड़ियों से आज़ाद हो कर उजाले की ओर बढ़ चले थे, परन्तु उसने इन उजालों की क़ीमत अपनी ज़िन्दगी के दस क़ीमती वर्ष और अपनी माँ के प्राणों की आहुति देकर चुकाई थी।


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