अमोघ अस्त्र
अमोघ अस्त्र


मानव व रचयिता के मध्य चल रहा युद्ध चरम पर था। रचयिता की बहादुर पुत्री, प्रकृति लहुलुहान पड़ी थी। मानव ने अपने दो ताक़तवर हथियारों, विज्ञान व तकनीक से उस पर अनगिनत घातक प्रहार किये थे।
आततायी मानव का दर्प भरा अट्टहास रचयिता के कानों में पिघले सीसे की तरह घुल रहा था। अंतत: क्रोधित रचयिता ने अपना अमोघ अस्त्र प्रयोग कर मानव का सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड का राजा बनने का स्वप्न पल भर में ही तोड़ दिया।अमोघ अस्त्र ने मानव के स्वच्छन्द पाँवों पर बेड़ियाँ डाल उसे सूने कमरे में बंधक बना लिया।
इस अमोघ अस्त्र ने मानव को आइना दिखाने के साथ साथ प्रकृति को भी जीवनदान दे दिया था।