Anshu Shri Saxena

Inspirational

1.0  

Anshu Shri Saxena

Inspirational

जियो अपने सपने

जियो अपने सपने

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डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के शब्दों में “ सपने वो नहीं जो आप सोते हुए देखते हैं, बल्कि सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते “ परन्तु क्या हम अपने सभी सपनों को जी पाते हैं ? शायद नहीं...क्योंकि हम अपनी ज़िम्मेदारियों में उलझ कर अपने सपनों को पूरा करने के लिए समय नहीं निकाल पाते । प्रत्येक महिला एक बेटी, एक बहू, एक पत्नी, एक माँ होने की ज़िम्मेदारी तो बख़ूबी निभाती है परन्तु अपने सपनों को कहीं बहुत पीछे छोड़ देती है । क्या उसे अपनी ज़िम्मेदारियों के बोझ तले अपने सपनों को रौंद देना चाहिये ? नहीं, बिलकुल नहीं....क्योंकि इन सपनों से ही उसकी ख़ुशियाँ जुड़ी हैं ।जब एक महिला ख़ुश होगी तभी वह उन ख़ुशियों को अपने परिवार के बीच बाँट सकेगी । 

मुझे भी बचपन से सपने संजोने का शौक़ था । मैंने सपनों का दामन कभी नहीं छोड़ा , सदैव ही उनका पीछा करती रही । बचपन से ही मुझे लिखने पढ़ने में बहुत रुचि थी । मैंने अपनी पहली कविता ग्यारह वर्ष की उम्र में लिखी थी । फिर तो स्कूल में होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओं , जैसे निबन्ध लेखन, कविता लेखन , संस्मरण लेखन आदि में मुझे पुरस्कार मिलने लगे जिन्होंने मेरा हौसला बढ़ाया । मुझे लेखन के साथ साथ गणित और विज्ञान विषयों में गहरी रुचि थी अत: मैंने रसायनशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री ली । विवाह के पश्चात मैंने स्थानीय विद्यालय में अध्यापन कार्य आरम्भ किया , जिससे एक अध्यापिका के रूप में मेरी पहचान बनी । इसी बीच मैं दो बच्चों की माँ बनी । बच्चों की परवरिश के साथ साथ मैंने अध्यापन कार्य जारी रखा । 

अध्यापन के अतिरिक्त मैंने विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़ कर समाज कल्याण की दिशा में अनेक कार्य किये हैं । जिनमें आस पास के गाँवों में साक्षरता केन्द्र , महिला तथा बालिका सशक्तिकरण , स्वच्छता अभियान , प्रौढ़ शिक्षा आदि प्रमुख हैं । एक सामाजिक कार्यकर्ता के में भी मेरी अपनी अलग पहचान है । 

अपने सपनों का अनुसरण करते हुए ही मैंने एक अध्यापिका , एक सामाजिक कार्यकर्ता से लेकर एक लेखिका और ब्लॉगर बनने का सफ़र तय किया है । मेरी कविताएँ और कहानियाँ विभिन्न समाचारपत्रों और पत्रिकाओं में छपती रहीं हैं । कुछ समय पूर्व ही छपी पुस्तक “ऑनलाइन वुमनिया” में भी मेरा सहयोग रहा है । लेखन मुझे आत्मिक संतुष्टि देता है साथ ही आंतरिक प्रसन्नता भी । दोस्तों, बहुत अच्छा लगता है जब लोग मुझे मेरे नाम से जानते हैं , पति या परिवार के नाम से नहीं ।बहुत ख़ुशी होती है कि मैं अपने परिवार के सहयोग से अपने कुछ सपनों को असलियत का जामा पहना पाई हूँ । 

 ऐसा नहीं है मेरे सारे सपने पूरे हो गये हों । सपने देखना तो एक सतत प्रक्रिया है जो एक पूरा होने के बाद अगले सपने की ओर चल पड़ती है । मुझे भी अभी बहुत दूर तक ऊँची सपनों की उड़ान भरनी है । बहुत सी मंज़िलें तय करनी हैं । इस छोटी सी ज़िन्दगी में ही सारे सपने पूरे करने हैं । मुझे पूरा विश्वास है अथक परिश्रम और निरंतर प्रयास से इन सपनों को पाने की राह ज़रूर आसान होगी । किसी फ़िल्म का डायलॉग भी है न “ अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो सारी क़ायनात उसे आपसे मिलाने को जुट जाती है “

तो बस, आप भी अपने सपनों को गले लगाने के प्रयास में जी जान से जुट जाइये । सपनों के लिए ऊँची परवाज़ भरिये । एक दिन आपके सभी सपने अवश्य पूरे होंगे और मंज़िलें आपके क़दम चूमेंगी । जब मंज़िलें आपके क़दमों में होंगीं तो आपकी ख़ुशी और मुस्कुराहटों से आपका घर आँगन महक उठेगा । 


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