सत्य पर पर्दा
सत्य पर पर्दा
"ये लघुकथा नकारात्मकता से भरी हुई है। मैं इसे प्रकाशित नहीं कर सकता हूँ।"
"सर, इसमें नकारात्मकता क्या है ?"
"अंत में सकारात्मक संदेश आना चाहिए।"
"लेकिन ये तो कथ्य पर निर्भर करता है। वैसे समाज में जो विसंगति है, इसमें तो वही है। जबरदस्ती इसे तोड़-मरोड़ कर आदर्श लिखने की कोशिश हुई तो विसंगति पर पर्दा डालने जैसी बात नहीं होगी ?"
"जो भी हो मुझे उससे मतलब नहीं है। मुझे तो सकारात्मक अंत हो, ये चाहिए बस।"
"फिर तो नाटकीय लगेगा।"
"फलाने,फलाने की लघुकथा देखो। सकारात्मकता से भरी होती है।"
"हाँ,हाँ पढता हूँ उन सब नाटकीयता से ओत-प्रोत कथाओं को।" कहते हुए वह कुर्सी से उठ खड़ा हुआ सत्य की लाठी थामें।
