Poonam Jha

Others

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Poonam Jha

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लिखो पर..

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किसी के मुख से सुना कि "लेखक जो होते हैं वो प्रशंसा के भूखे होते हैं ।" चौंकिये मत । प्रशंसा की बात मुझे कोई बहुत अजीब नहीं लगी । लेकिन लेखक के लिए कहना अजीब लगा ये 'भूखा शब्द' भी , क्योंकि कोई भी रचनाकार स्वेच्छा से लिखता है । आत्म संतुष्टि के लिए लिखता है । प्रसंसा होती है तो खुशी होती है लेकिन नहीं हो तो भी वो लिखना नहीं छोड़ता ।

जहाँ तक प्रशंसा की बात है । ये तो मानव का स्वभाव है । छोटे बच्चे को ही देख लें ........।

किन्तु ....

लेखन तो आत्मा से जुड़ी है । लेखक को प्रसंसा की भूख नहीं बल्कि लिखने और पढ़ने की भूख होती है ।लेखक या लेखिका हर कोई नहीं बन जाता है । लेखन एक कला है , जो हर किसी में संभव नहीं है । ठीक उसी प्रकार जैसे सभी चित्रकारी नहीं कर सकता ।किसी भाव को शब्दों में समेटना इतना आसान नहीं होता है । साथ ही वे शब्द किसी के दिल में उतर जाए। लेखन का प्रभाव भी अलग-अलग होता है । सार्थक लेखन वही है जो सकारात्मक बदलाव ला सके, जैसे परिवार में, समाज में, शिक्षा में आदि ।


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